साल 2020 तारीख़ 29 अप्रैल भारतीय सिनेमा तथा इसके चाहने वालों के लिए एक काला दिन के समान था, जी हां, हो भी क्यों नहीं ,इस दिन हिंदुस्तानी सिनेमा का एक बेजोड़ अदाकार सदा के लिए पंच तत्वों में विलीन हो गया हमारे पास बाकी जो रह गया वो थीं महज़ यादें ।
सलाम बॉम्बे के डाकिए को अपने ही मौत की चिट्ठी इतनी जल्दी मिलेगी शायद उसे भी पता न था । टौंक के नवाब ने कहा मालूम था कि ज़िंदगी की रफ़्तार इतनी जल्दी बढ़ेगी की लाइफ ऑफ पाई, और जुरासिक पार्क के डायनासोर के साथ दो – दो हाथ करने के बाद भी मौत पीछा नहीं छोड़ेगी।
बात हो रही परदे के बागी पान सिंह तोमर इरफ़ान खान साहब की जिन्होंने अपनी अदाकारी से हासिल किया लाखों दिलों पर हुकूमत करने जज़्बा और बन गए मकबूल।
अभिनेता इरफ़ान लीक से हटकर फिल्में करने की वजह से बेहद मशहूर थें । अपने करियर के शुरुआती दिनों में वे चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता जैसे धारावाहिकों में दिखाई दिए थें । बाद में उन्होंने द वारियर, मकबूल, हासिल, द नेमसेक, रोग जैसी फिल्मों मे अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
दर्शक ऐसा मानते हैं कि वे अपनी आंखों से ही पूरा अभिनय कर देते हैं। ” हासिल “फिल्म के लिये उन्हे वर्ष २००४ का फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया। 60वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2012 में इरफ़ान खान को फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार दिया गया। 2017 में प्रदर्शित हिंदी मीडियम फिल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया। 2020 में प्रदर्शित अंग्रेज़ी मीडियम उनकी प्रदर्शित अंतिम फ़िल्म रही।
साल 2020 को आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कहने वाले इरफान खान ने अपनी दमदार अदाकारी से ना सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई थी ।
अभिनेता के बारे में बताते हुए एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा ने कहा था कि , “आपने जो कुछ भी किया वह एक करिश्मा था। आपकी प्रतिभा ने इतने सारे रास्ते में बहुतों के लिए रास्ते बनाए। आपने हम में से कितने ही लोगों को प्रेरित किया है।”