नई दिल्ली: एशियन गेम्स में कबड्डी की तरफ से भारत को निराशा हाथ लगी. पुरुष टीम के सेमिफाइनल में हारने के बाद भारतीय महिला टीम भी शुक्रवार को कबड्डी के फाइनल में ईरान से हार गई. अब भारत को रजत पदक से ही संतोष रखना होगा.
हालांकि खेल में हार-जीत लगी रहती है और भारत ने ईरान की टीम को कड़ी टक्कर भी दी. लेकिन एशियन गेम्स के दौरान आपने इस बात पर हैरानी जरूर जताई होगी कि ईरान की महिला टीम की सदस्य अपने सिर पर कपड़ा क्यूं बांधे रखती हैं. उन प्लेयर्स के सिर पर बंधे कपड़े की वजह कोई और नही बल्कि ईरान का इस्लामिक नियमों के मुताबिक चलना है.
बता दें कि ईरान 1979 में अमेरिका के खिलाफ हुई क्रांति के बाद से इस्लामिक कानूनों के आधार पर चलता है जिसमें औरतों का सिर पर कपड़ा ढ़कना जरूरी है. 1979 में जब ईरान को अमेरिका के नुमाईंदे समझे जाने वाले शाह की सत्ता से आजादी मिली तो उन्होने अयातुल्लाह खुमैनी को अपना नेता चुना था. अयातुल्लाह खुमैनी बहुत ही धार्मिक नेता थे वहीं अमेरिका या कहें वेस्ट के खिलाफ हुए आंदोलन में कथित रूप से वहां के रहने के तरीको को नकार दिया गया.
ईरान की क्रांति ने शाह को तो उखाड़ फेंका लेकिन उसके साथ लोगों की जिंदगी में भी कई ऐसे बदलाव जिसने उनकी नीजी जिंदगी पर गहरा असर डाला. इसका सबसे अधिक असर तो महिलाओं पर हुआ. हालांकि ईरान में महिलाओं पर सऊदी अरब जितनी पाबंदियां नही हैं लेकिन क्रांति ने उनसे उनके कई अधिकार जरूर छीन लिए थे. जिनमें से एक अपनी पसंद के कपड़े पहनना भी था. ईरान में पर्दा इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के प्रतीक की तरह माना जाता है.
हालांकि अब लोग बदलावों की मांग करने लगे हैं, लोगों के दबावों के चलते ही ईरान के राष्ट्रपति भवन की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट में इस्लामी पर्दे को लेकर ईरानी लोगों की राय थी. जिसमें 49.8 प्रतिशत लोगों का मानना था कि ये उनका नीजी मामला होना चाहिए और सरकार को इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नही करना चाहिए.
पिछले कुछ महीनों से स्कार्फ से आजादी की मांग के कई प्रदर्शन भी हुए. कई महिलाओं जिन्होने सार्वजनिक रूप से अपना स्कार्फ उतारा उन पर केस भी दर्ज किए गए.