नई दिल्ली: लंदन में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड नाम के संगठन से की है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी उनपर बुरी तरह हमलावर है। राहुल ने कहा है कि अरब देशों में जिस तरह के काम मुस्लिम ब्रदरहुड करता है ठीक वैसे ही काम आरएसएस के हैं.
आखिर ये मुस्लिम ब्रदरहुड है क्या और राहुल ने आरएसएस से इसकी तुलना क्यों की
आपको बता दें कि मुस्लिम ब्रदरहुड अरब देशों का सबसे पुराना एक राजनीतिक इस्लामिक संगठन है.मुस्लिम ब्रदरहुड अरब देशों के राजनीतिक ढ़ांचे को बदलना चाहता है. जिसका आधार शरिया क़ानून है. मुस्लिम ब्रदरहुड की नींव 1928 में इस्लामिक स्कॉलर हसन अल बन्ना ने रखी थी. हसन अल बन्ना एक वैश्विक इस्लामिक प्रणाली तैयार करना चाहता था जो इस्लाम के कानूनों के मुताबिक चले. हालांकि शुरूआत में यह संगठन दान इकठ्ठा करने के अलावा राजनीतिक और सामाजिक चेतना फैलाने का काम करता था. समय बदलने के साथ इसके स्वरुप और तौर-तरीकों में भी फर्क आता गया.
मिस्र अंग्रेजों का उपनिवेश हुआ करता था और इस देश को अंग्रेजों से आजादी दिलवाने में मुस्लिम ब्रदरहुड की अहम भूमिका रही. लेकिन बाद में देश में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता अपनाने की जगह इस्लामिक कानून से शासन उसने शुरू कर दी. जब मिस्त्र के नेता अब्दुल नासेर ने समाजवादी औऱ धर्मनिरपेक्ष शासन की ओर अपने कदम बढ़ाए तो उन्हें मार दिया गया. अब्दल नासेर की हत्या के मामले में मुस्लिम ब्रदरहुड के नेता को गिरफ्तार किया गया था. इसी तरह ये संगठन कई तरह की उग्र गतिविधियों में शामिल रहा. इस संगठन पर आरोप लगते हैं कि ये अरब देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्न करने की कोशिश करता है.
सऊदी अरेबिया, यूएई, रशिया, मिस्र औऱ सीरिया में इसे आतंकी संगठन करार दिया जा चुका है. कई देशों में तो ये संगठन बाधित है और कहीं ये अपनी गतिविधियां को अंडरग्राउंड होकर अंजाम देते हैं. अरब क्रांति के दौरान इस संगठन ने खुद को फिर से ताकतवर करने की कोशिश की थी. फिलिस्तीन में हमस, ट्युनिशिया में एनाहादा नाम की पार्टियों के जरिए खुद को जिंदा रखे हुए है.