समाजवादी पार्टी को गुरुवार यानी बीते कल एक बड़ा झटका लगा। क्योकि यूपी की विधान परिषद में उसके सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से कम हो गयी है। जिस कारण से पार्टी से विधान परिषद में नेता विरोधी दल का पद छीन लिया गया और सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव की नेता प्रतिपक्ष की मान्यता खत्म कर दी।
गौरतलब है कि, आजादी के बाद यानी साल 1947 के बाद यह पहला मौका है जब विधान परिषद में कोइ नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा ।इससे पहले बुधवार को विधान परिषद में सपा के 2 MLC सहित 12 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हुआ है। जिन12 सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हुआ उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केशव प्रसाद मौर्य ,चौधरी भूपेंद्र सिंह शामिल हैं।
लेकिन हाल ही में हुए विधान परिषद के चुनाव को जीतकर केशव प्रसाद मौर्य और चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सदन में कमबैक कर लिया है। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के जगजीवन प्रसाद‚ बलराम यादव‚ डॉ. कमलेश कुमार पाठक‚ रणविजय सिंह‚ राम सुंदर दास निषाद और शतरुद्र प्रकाश का बुधवार को कार्यकाल समाप्त हो गया।
इसके साथ ही बुधवार को BSP के भी तीन सदस्यों का विधान परिषद में कार्यकाल समाप्त हो गया है। गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश MLC चुनाव 2022 के परिणाम 12 अप्रैल को घोषित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. MLC चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 27 विधान परिषद सीटों में से 24 पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत प्राप्त किया था। वहीं कांग्रेस की स्थिति विधान परिषद में बेहद चिनाजांक प्रदर्शन किया है. राज्य विधानपरिषद में कांग्रेस का मात्र एक सदस्य था जिसका कार्यकाल जुलाई में खत्म हो गया इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में कांग्रेस मुक्त हो गई है।