विश्वजीत भट्टाचार्य: त्रिपुरा के सीएम विप्लव देव के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उपहास का सिलसिला जारी है। दरअसल, विप्लव देव ने कहा था कि बतख जब तैरती है, तो उसकी वजह से तालाब के पानी में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है। बस इसी बयान को लेकर सोशल मीडिया पर विप्लव की खिंचाई होने लगी। बयानों को लेकर बीजेपी के नेताओं की खिंचाई सोशल मीडिया पर लगातार होती रहती है, लेकिन इस दफा विप्लव देव की खिंचाई करने वाले उसी तरह गलत साबित होंगे जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाले की गैस से चाय बनने वाले बयान को लेकर हुआ था।
आईसीएआर कर चुका है अनुमोदन
तालाब में बतख के तैरने से पानी में ऑक्सीजन बढ़ने के बारे में विप्लव देव का बयान तकनीकी तौर पर दुरुस्त है। बाकायदा आईसीएआर यानी इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इसकी तस्दीक करता है। ये संस्था कोई ऐरी-गैरी नहीं है। खेती-किसानी से जुड़े वैज्ञानिक देश की इस शीर्ष अनुसंधान संस्था में काम करते हैं। आईसीएआर का कहना है कि तालाब में जब बतख तैरती है, तो लहरें उठती हैं और इससे पानी में हवा ज्यादा बेहतर तरीके से घुलती है। साथ ही बतख पानी से तमाम गंदगियों को खा जाती है, इससे भी पानी की गुणवत्ता बढ़ती है। बात सही इस वजह से है कि जहां पानी ठहरा हुआ होता है, उसमें ऑक्सीजन कम पाई जाती है।
नदियों पर बैराज बनाकर जब पानी रोका जाता है और उसमें तमाम प्रदूषण वाली चीजें पड़ती हैं, तो वो पानी भी जलीय जीवों के लिए खतरनाक हो जाता है। वैज्ञानिक इसी वजह से नदियों को अविरल बहते देने पर जोर देते हैं। सिर्फ गंगा नदी को ही देख लें, तो ये गंगोत्री से बहकर जब यूपी के मैदानी इलाके तक पहुंचती है, तभी इसे रोकने की प्रक्रिया शुरू होती है और इस वजह से कानपुर तक आते-आते गंगा का ये रुका हुआ पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित और ऑक्सीजन की जबरदस्त कमी लिए हुए होता है। यानी साफ है कि विप्लव देव अगर कहते हैं कि बतख के तैरने का तालाब के पानी में ऑक्सीजन बढ़ने से रिश्ता है, तो वो बिल्कुल सही है। अगर हम पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में जाएं, तो वहां तालाबों की भरमार है और तालाबों में मछली के अलावा बतख भी खूब पाली जाती हैं। खास बात ये भी है कि ऐसा कभी सुनने या देखने में नहीं आता कि तालाब के पानी में प्रदूषण की वजह से मछलियां मरी हों।
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नाले की गैस से चाय बनाने का मामला भी सही निकला था
इससे पहले नाले की गैस से चाय बनाने की बात कहने पर पीएम नरेंद्र मोदी का भी सोशल मीडिया पर काफी उपहास किया गया था, लेकिन पता ये चला कि मोदी ने गलत बात नहीं की थी। 2013 में छत्तीसगढ़ में और 2014 में तमिलनाडु में ऐसा किया जा चुका था। हाल ही में गाजियाबाद में इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज के दो छात्रों ने राजू नाम के चायवाले को नाले में ड्रम लगाकर ऐसी व्यवस्था करके भी दिखाया, जिससे वो चाय बना रहा है और हर महीने 5 हजार रुपए कमा भी रहा है। विप्लब देव इससे पहले महाभारत काल में इंटरनेट की मौजूदगी के दावे को लेकर चर्चा में आए थे। वहीं, उन्होंने सिविल इंजीनियर्स के सिविल सेवा में आने की जरूरत जाते कर खुद को जगहंसाई का पात्र बनाया था। फिलहाल, आक्सीजन और बतख के मामले में उनकी बात गलत प्रतीत नहीं हो रही। चूंकि, पहले वो कुछ ऐसी बातें कह चुके हैं जिनकी वजह से उनका ताजा बयान भी लोग मज़ाक में ले रहे हैं। कुल मिलाकर बात इतनी है कि अगर कोई गलत बयान दे रहा है, तो उसकी गलती को बतानी चाहिए, लेकिन दूसरे की गलती पर उंगली उठाने से पहले ये देख लेना चाहिए कि कहीं हम ही तो गलत नहीं हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है )