नई दिल्लीः मोदी सरकार को अपनी महात्वाकांक्षी योजना ‘मोदी केयर’ के नाम को लेकर बड़ी जद्दो-जहद करनी पड़ी हैं. सरकारें अपने द्वारा शुरू की गई योजनाओं के नाम पर खासा ध्यान रखती हैं ताकि लंबे समय तक वो लोगों के जहन में रह सकें. वहीं अगर मोदी सरकार की योजनाओं की बात की जाए तो इनके नामों का अलग ही महत्व रहा है. इनकी योजनाओं के नाम में राजनीति साफ दिखाई देती है. इस बात को केंद्र सरकार की ‘मोदी केयर’ योजना ने साबित कर दिया है.
‘मोदी केयर’ योजना के खाके को पीएमओ, स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग ने मिलकर तैयार किया था. जिसके बाद इसका जोर-शोर से ऐलान भी किया गया था. लेकिन इसके नामकरण को लेकर बात अटक गई. दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक लॉन्च होने के बाद इस योजना के नाम में 6 महीने में तीन बार बदला गया है. इसके नाम में कभी आरएसएस ने अटकलें खड़ी की, तो कभी ‘पीएम-जा’ ने पेंच फंसाया.
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इस योजना को 10.74 करोड़ परिवारों को हेल्थ बीमा का लाभ पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है जिसका शुरुआती नाम नीति आयोग ने “नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन’ रखा था, लेकिन अंग्रेजी नाम होने के वजह से इसको लोकप्रिय नहीं माना गया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी में बजट पेश करते हुए योजना के नाम में बदलाव करते हुए इसके नए नाम ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना’ के साथ परिचय कराया था. इस नाम में भी राजनैतिक मुद्दा दिखाई दिया क्योंकि नाम की शॉर्टफॉर्म बन रही थी -आरएसएसवाई. यानी कि इस नाम में ‘आरएसएस’ आ रहा था.
जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रायल को शक हुआ कि, नाम में ‘आरएसएस’ आने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो सकता है. जिसके बाद एक बार फिर इस योजना के नए नाम की खोज शुरू हो गई. पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर इस योजना को 25 सितंबर से लागू करने की घोषणा करते हुए इसका नाम ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान’ रख दिया गया, लेकिल फिर से शॉर्टफॉर्म में पेंच फंस गया. पीएमजेएए, जिसका उच्चारण पीएम-जा बन रहा था.
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जिसके बाद इसके नाम में बदलाव करना बेहतर समझा गया. 12 दिन बाद इस योजना को लॉन्च करते समय तीन केंद्रीय मंत्रीय द्वारा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई जिसके बाद इसका नया नाम सामने आया – ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ इस नए नाम का शॉर्टफॉर्म भी अच्छा बन गया- (पीएमजेएवाई) पीएम-जय इस नाम का तो शॉर्टफॉर्म भी अच्छा बन गया- पीएम-जय (पीएमजेएवाई).
आखिरकार मंत्रालय से इस नाम की जय-जय पीएमओ तक हो गई. योजना का बार-बार नाम बदले जाने पर सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने कहा कि- ‘योजना का नाम बदलना तो एक घटना मात्र है. इसे किसी और तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए.