Supreme court: सर्वोच्च न्यायालय ने प्रेगनेंट इंजीनियरिंग स्टूडेंट की अबाॅर्शन वाली अर्जी पर फैसला सुना दिया। अदालत ने कहा कि AIIMS के चिकित्सकों की एक टीम डिलीवरी कराएगी। जन्म के बाद बच्चे को एक परिवार को गोद दे दिया जाएगा। उधर इस आदेश के बाद छात्रा भी बच्चे को जन्म देनेे के लिए राजी हो गई।
गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले 20 वर्षीय इंजीनियरिंग की छात्रा ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अबाॅर्शन की अनुमति मांगी थी। स्टूडेंट ने बताया कि उसे प्रेग्नेंसी के बारे में 7 माह बाद पता चला। उसने कहा कि मेरी शादी नहीं हुई है, इसीलिए उसकी फैमली बच्चे को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
शीर्ष अदालत ने इस केस पर एम्स के डाॅक्टरों की राय मांगी थी। चिकित्सकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को देते हुए कहा था कि गर्भ 29 सप्ताह से अधिक का हो चुका है, इसलिए अबाॅर्शन करना ठीक नहीं होगा।