भोपाल: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मध्य प्रदेश के सीधी जिले में जनआर्शीवाद यात्रा के दौरान पत्थर फेंकने के मामले में एक नया खुलासा सामने आया है. दरअसल इस मामले में आरोपियों के खिलाफ गवाही देने वाले 23 वर्षीय शख्स संदीप ने दाबा करते हुए कहा है कि उसको पुलिस के दवाब में आकर जबरदस्ती गवाही देनी पड़ी थी. जबकि न तो वह घटना स्थल पर मौजूद था और न ही वह इस मामले में हिरासत में लिए किसी भी व्यक्ति को जानता है.
मध्य प्रदेश चुरहट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक अजय सिंह ने युवक संदीप चतुर्वेदी को अपने निवास पर संवाददाताओं के समक्ष पेश किया. संदीप ने अपने कथन के शपथ पत्र और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में लिखे पत्र की प्रति को देते हुए कहा कि, मैंने उक्त घटना नहीं देखी थी.
संदीप ने कहा, जिस पेट्रोल पंम्प पर मैं काम करता हूं, वहां रात को करीब 1.30 बजे मुझे पुलिस उपनिरीक्षक दीपक बघेला ने उठाया और कमर्जी थाना ले जाकर यह बयान देने के लिए कहा कि, कुछ लोगों के नाम जो पुलिस बता रही है, लेकर मैं पुलिस को यह बयान दूं कि उन लोगों ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के रथ पर पत्थर फेंके थे. जिससे रथ का शीशा टूट गया.
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संदीप ने आगे कहा, “मैंने जब पुलिस को बताया कि इस तरह की घटना मैंने नहीं देखी और जिन लोगों के नाम आप लेने को कह रहे हैं, मैं उन्हें जानता भी नहीं हूं. परंतु बघेला और अन्य पुलिसवालों ने मुझे थाने में पीटा और मुझसे जबरदस्ती बयान लिया.” इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में मुझे जान का खतरा होने की आशंका भी जतायी. संदीप से पुलिस द्वारा जबरदस्ती बयान लिये जाने के बारे में पूछने पर सीधी जिले के पुलिस अधीक्षक तरूण नायक ने कहा, यह मामला जांच में है इसलिये मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.
आपको बता दें कि, प्रदेश के सीधी जिले के चुरहट इलाके के ग्राम पटपरा में सीएम शिवराज सिंह चौहान के जनआशीर्वाद यात्रा के रथ पर 2 सितम्बर की रात पथराव किये जाने के मामले में पुलिस ने नौ कांग्रेसियों को गिरफ्तार किया था. पत्थर फेंकने की इस घटना में यात्रा वाहन के चालक के बाजू का शीशा टूट गया था. हालांकि इसमें किसी को कोई चोट नहीं आयी.