शराब घोटाला केस में CM केजरीवाल की बढ़ी मुश्किलें, ED ने जारी किया 5वां समन

दिल्ली शराब घोटाला मामले में सीएम केजरीवाल को ईडी ने पांचवा समन जारी किया है। उनसे 2-3 फरवरी को पूछताछ की जा सकती है। इससे पहले उन्हें इस मामले में चार समन जारी किए जा चुके हैं, लेकिन वो आज तक पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए। इससे पहले सीएम केजरीवाल को 17 जनवरी, 3 जनवरी, 21 दिसंबर और 2 नवंबर को इस मामले में समन जारी किया गया था। ध्यान दें, इससे पहले 2 नवंबर को जब सीएम केजरीवाल को समन जारी किया गया था, तो उन्होंने यह कहकर पूछताछ के लिए पेश होने से इनकार कर दिया था कि वो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। इसके बाद जब उन्हें 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन जारी किया गया था, तब वो विपशना में चले गए थे। इस तरह से वो लगातार ईडी के चार समन को नजरअंदाज कर चुके हैं।

ध्यान दें, नियमों के मुताबिक, किसी भी मामले में आरोपी ईडी के तीन समन को नजरअंदाज कर सकता है, लेकिन अगर वो चौथे समन को नजरअंदाज करता है, तो उसे गैर-जमानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन अभी तक सीएम केजरीवाल के खिलाफ ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है, जिसके बाद अब उनके खिलाफ पांचवा समन जारी किया जा चुका है। अब ऐेसे में आगामी दिनों में ईडी की ओर से उनके खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले आपको बता दें कि अब तक इस मामले में क्या -क्या कार्रवाई हुई है ?

आपको बता दें कि अब तक इस मामले में ईडी की ओर से कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिसमें आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का नाम शामिल है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी अभी तक इनमें से किसी भी नेता को जमानत नहीं मिल पाई है। लेकिन, ध्यान देने वाली बात है कि जब बीते दिनों दिल्ली शराब घोटाला मामले में संजय सिंह पर गाज गिरी थी, तो बीजेपी ने यह कहने में कोई देरी नहीं की कि अब अगला नंबर सीएम केजरीवाल का है। अब इस मामले में सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी होगी, जिस पर आप ने सवाल भी उठाया कि आखिर बीजेपी को कैसे पता है कि अब अगला नंबर सीएम केजरीवाल का है?

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल साल 2021 में नई शराब नीति लेकर आए थे। इस नीति से पहले 60 फीसद सरकारी और 40 फीसद निजी शराब की दुकाने खोले जाने का प्रावधान था, लेकिन इस नीति के लागू किए जाने के बाद सभी 100 फीसद शराब की दुकानों का निजीकरण कर दिया गया था। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि ऐसा करने से हमारे राजस्व में 27 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। नई शराब नीति के अंतर्गत निजी शराब कारोबारियों को बिना किसी शुल्क के लाइसेंस जारी करने की भी इजाजत दे दी थी। इस नीति के अंतर्गत पूरी दिल्ली को 27 जोन में विभाजित कर दिया गया था। इस तरह से पूरी दिल्ली में 800 से भी अधिक दुकानें खोली गई थी जिस पर बीजेपी ने कहा था कि केजरीवाल सरकार शराब संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, जो कि उचित नहीं है।

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