लखनऊ: दिल्ली के जंतर-मंतर पर बेटे अखिलेश यादव के साथ मंच साझा करके मुलायम सिंह ने अपने भाई शिवपाल सिंह यादव को जोर का झटका दिया. मुलायम ने इशारों में ये भी साफ कर दिया कि वो शिवपाल के समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के साथ नहीं हैं. मुलायम के इस रुख ने शिवपाल के उन दावों को भी खोखला साबित कर दिया है जिनमें उन्होंने नेताजी का आशीर्वाद अपने साथ होने की बात कही थी. हालांकि शिवपाल ने ये कहकर गेंद मुलायम के पाले में डाल दी है कि नेताजी अब भी मेरे साथ हैं.
नेताजी करेंगे भविष्य पर फैसला
अखिलेश और मुलायम के मंच साझा करने पर शिवपाल ने कहा कि नेता जी का मुझे पूरा आशीर्वाद है और आगे भी रहेगा. उन्होंने कहा कि हमें अभी थोड़ा और इंतजार करना होगा, आगे का फैसला नेता जी ही करेंगे. जंतर-मंतर पर जब मुलायम और अखिलेश एक मंच पर थे तब लखनऊ में शिवपाल सिंह सहकारिता भवन में एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इस दौरान उनका दर्द भी छलक आया. शिपवाल ने इशारों में अखिलेश पर हमला करते हुए कहा कि कभी-कभी बहुत से लोगों को बिना मेहनत के काफी कुछ मिल जाता है. कुछ लोगों को मेहनत से भी नहीं मिलता. कुछ भाग्यशाली हैं जिन्हें बिना कुछ किए बहुत कुछ मिला.
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शिवपाल के बयान के क्या हैं मायने ?
शिवपाल ने मुलायम का आशीर्वाद होने के बात कहकर नेताजी पर दबाव बनाने की कोशिश की है. शिवपाल ने भविष्य पर फैसला करने की जिम्मेदारी नेताजी पर सौंप दी है. दरअसल शिवपाल अपनी तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहते जिससे ये संकेत जाए कि वो नेताजी से अलग राह पकड़ रहे हैं. वो अब भी नेताजी को सम्मान देने और खुद को अपमानित किए जाने की बात कहकर खाटी समाजवादियों का भरोसा जीतना चाहते हैं. ऐसी सूरत में अगर मुलायम या अखिलेश उनके खिलाफ खुलकर कुछ बोलते हैं तो शिवपाल विक्टिम कार्ड खेलकर पुराने समाजवादियों की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करेंगे. इसीलिए वो अपने हर बयान में नेताजी और समाजवादियों के सम्मान की बात कह रहे हैं ताकि सियायी फायदा उठाया जा सके.
क्या होगा मुलायम का रुख ?
अब तक मुलायम, अखिलेश और शिवपाल के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते आए हैं. लंबे वक्त के बाद ये पहला मौका था जब पिता-पुत्र एक साथ मंच पर नजर आए. जबसे सैफई परिवार में विवाद हुआ है, तब से सार्वजनिक मंच पर पिता-पुत्र कभी साथ नजर नहीं आए थे. एक मंच पर आकर मुलायम ने शिवपाल को ये संकेत देने की कोशिश की है कि वो अखिलेश के साथ हैं. इसके बाद भी शिवपाल सियासी बयानबाजी से बचते हुए नेताजी के आशीर्वाद का दावा कर रहे हैं. शिवपाल के इस रुख से सियासत के अखाड़े के बड़े खिलाड़ी मुलायम फिलहाल दोराहे पर खड़े हैं. शायद वो देश के एकमात्र नेता हैं जिन्हें दो-दो सियासी दल अपना नेता मान रहे हैं. वो भविष्य की तरफ देखकर अपने बेटे को आशीर्वाद तो दे रहे हैं लेकिन बगावत पर उतारू छोटे भाई के खिलाफ कुछ भी कहने से बच रहे हैं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि मुलायम आगे क्या फैसला लेते हैं क्योंकि उनके एक तरफ कुआ और दूसरी तरफ खाई है. मुलायम जो भी फैसला करेंगे उसमें उनकी निजी तौर पर हार ही होगी.