‘सब कुछ करने वाले महादेव हैं, हम सब तो निमित्त मात्र’, पढ़ें पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के दौरे पर हैं. पीएम शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे BHU पहुंचे. उन्होंने यहां स्वतंत्रता भवन में आयोजित कार्यक्रम में संसद संस्कृत प्रतियोगिता के टॉपर्स को सर्टिफिकेट वितरित किया. इसके बाद पीएम ने कहा कि भगवान शिव के आशीर्वाद से काशी में चारों ओर विकास का डमरू बज रहा है.

पीएम मोदी काशी को 13202 करोड़ रुपए की 36 परियोजनाओं की सौगात देंगे. पीएम ने कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप​ फिर से संवर रहा है. ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है.

पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें

पीएम मोदी ने कहा-काशी तो संवरने वाला है…रोड भी बनेंगे, ब्रिज भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे लेकिन मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन   को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है. मैं चाहता हूं कि जो फोटो कांपीटीशन हुआ है,  उसका चयन वोटिंग से हो. सारे फोटो जो गैलरी में लगे हैं, उस पर ऑनलाइन वोटिंग होनी चाहिए.

-पीएम मोदी ने कहा काशी विश्वास दिलाता है कि अमृतकाल में आप सभी युवा देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे. काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है. काशी का स्वरूप आज फिर से संवर रहा है यह पूरे विश्व के लिए गर्व की बात है.

उन्होंने कहा कि आज प्रतिभागियों के विजेताओं को सम्मानित करने का अवसर मिला. सभी सफल प्रतिभागियों और उनके परिवार को बधाई देता हूं. जो युवा कुछ नंबर से पीछे रह गए मैं उनका अभिनंदन कर रहा हूं. आप काशी के ज्ञान प्रतियोगिता में शामिल हुए यह बड़ा गौरव है.

-पीएम ने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं. काशी में तो सब कुछ करने वाले महादेव हैं और उनके गण हैं. जहां महादेव के कृपा हो जाला… ऊ धरती अपने आप समृद्ध हो जाली. महादेव के आशीष से काशी में चारों ओर विकास हुआ. काशी तो संवरने वाला है… रोड़ भी बनेंगे, ब्रिज भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे लेकिन मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है.

-हमारे ज्ञान, विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है.  भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है. भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है.   भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है. पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और   शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं. हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं.

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