नई दिल्ली। दिल्ली में राजभवन से जुड़े सूत्रों के हवाले से हिंदी अखबार अमर उजाला ने खबर दी है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार की सोलर पॉलिसी पर कोई रोक नहीं लगाई है। इससे पहले आम आदमी पार्टी की सरकार के सूत्रों से दावा किया गया था कि केजरीवाल की तरफ से घोषित सोलर पॉलिसी पर लेफ्टिनेंट गवर्नर ने रोक लगाई है। अरविंद केजरीवाल ने बीते दिनों सोलर पॉलिसी का एलान किया था। अब इस मामले में एलजी और केजरीवाल सरकार के बीच फिर तलवारें खिंचने के पूरे आसार हैं।
अमर उजाला को राजभवन से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सोलर पॉलिसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि लोगों के बिजली बिल जीरो हो जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल सरकार की सोलर पॉलिसी में रेस्को का प्रावधान है। जिससे निजी बिजली कंपनियों को फायदा होगा। इसी के बारे में लेफ्टिनेंट गवर्नर ने सरकार से और जानकारी मांगी है। एलजी ये जानना चाहते हैं कि दिल्ली सरकार की सोलर पॉलिसी में भारत सरकार की हजारों करोड़ की कैपिटल सब्सिडी का उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचाने का क्या प्रावधान किया गया है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने नई सोलर पॉलिसी का एलान करते हुए कहा था कि इसे लेने वाले लोगों का बिजली का बिल शून्य हो जाएगा। यही नहीं, उनका ये भी दावा था कि लोगों को इस स्कीम का इस्तेमाल करने से 700 से 900 रुपए तक की आमदनी होगी।
अरविंद केजरीवाल ने ये दावा भी किया था कि सोलर पॉलिसी अपनाने पर लोगों का चार साल में ही सोलर पैनल लगाने में खर्च हुआ पैसा भी वापस मिल जाएगा। इससे पहले भी केजरीवाल सरकार सोलर पॉलिसी लाई थी। तब लोगों ने अपने घरों की छत पर 250 मेगावाट क्षमता के सौर पैनल लगवाए।
जबकि, बिजली सप्लाई करने वाले डिस्कॉम ने 1250 मेगावाट सोलर पावर वाली बिजली खरीदी। अरविंद केजरीवाल का तो ये भी दावा है कि नई सोलर पॉलिसी से 400 यूनिट से ज्यादा बिजली खर्च करने वालों का भी बिल शून्य ही आएगा। इसके साथ ही सोलर पैनल लगवाने वालों को 25 साल तक मुफ्त बिजली की बात कही गई थी।