देहरादून: उत्तराखंड के बहुचर्चित एनएच 74 जमीन मुआवजा घोटाले में सस्पेंड आईएएस पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव को चार्जशीट सौंप दी गई है. दोनों को 14 दिन के भीतर जवाब देना होगा. इसके बाद सरकार किसी वरिष्ठ आईएएस अफसर को मामले में जांच अधिकारी नामित करने पर फैसला लेगी. इससे पहले निलम्बित आईएएस पंकज पांडेय अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट भी गए थे लेकिन उनको फ़िलहाल राहत नहीं मिली. पुख्ता सूत्रों के मुताबिक कार्मिक विभाग ने शुक्रवार को दोनों अफसरों को चार्जशीट सौंप दी है. अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) राधा रतूड़ी के हस्ताक्षर से जारी चार्जशीट दोनों अफसरों को व्यक्तिगत रूप से थमाई गई है. उनसे 14 दिन के भीतर चार्जशीट में लगे आरोप का जवाब देने को कहा गया है.
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और बढ़ने वाली हैं पाण्डेय की मुसीबतें
निलंबित आईएएस पंकज कुमार पांडेय के खिलाफ मुकदमे की मंजूरी जल्द मिल सकती है. एसआईटी पांडेय के विरुद्ध मुकदमा शुरू करने की अनुमति मांग चुकी है, जबकि सस्पेंड आईएएस चंद्रेश कुमार यादव के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश की है. अभी सरकार की तरफ से अभियोजन की अनुमति नहीं मिली, लेकिन पांडेय इससे पहले अग्रिम जमानत को हाईकोर्ट पहुंच गए हैं. 10 अक्तूबर को उनकी अर्जी पर सुनवाई होनी है. वहीं पंकज पाण्डेय ने सोशल मीडिया में कुछ पत्र सार्वजनिक कर सूबे की नौकरशाही में हलचल मचा दी थी. उन पत्रों के आधार पर पाण्डेय ये जताना चाह रहे थे कि उन्होंने जो भी किया उसमें उच्च अधिकारियों की सहमति थी.
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ये है मामला
ऊधम सिंहनगर जिले में वर्ष 2011 से 2016 के दौरान चार तहसीलों जसपुर, काशीपुर, बाजपुर और सितारगंज में एनएच-74 के विस्तार में जमीनों के मुआवजे के नाम पर बंदरबांट हुई थी. लैंडयूज बदलने से लेकर जमीनों के बाजारी मूल्य से कई गुना अधिक काश्तकारों को मुआवजा दे दिया गया था. पहले इस मामले की जांच कुमाऊं के तत्कालीन कमिश्नर डी सेंथिल पांडियान ने की थी, उनकी रिपोर्ट पर सात पीसीएस अफसर समेत कई कर्मचारी सस्पेंड हुए थे. बाद में त्रिवेंद्र सरकार ने जांच एसआईटी को सौंपी, जिसमें तब यूएसनगर के डीएम रहे दो आईएएस भी जद में आ चुके हैं. अब तक यह घपला 400 करोड़ से ऊपर तक पहुंच चुका है