लखनऊ: समाजवादी पार्टी के बागी नेता शिवपाल सिंह यादव ने नई पार्टी के साथ 2019 के आम चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी कर ली है. शिवपाल की निगाह समाजवादी पार्टी के उन नेताओं पर है जिन्हें अखिलेश यादव के कमान संभालने के बाद हाशिए पर डाल दिया गया है. शिवपाल ने नई पार्टी बनाने के लिए चुनाव आयोग में आवेदन भी कर दिया है. उनकी कोशिश समाजवादी पार्टी से मिलते-जुलते सिंबल को हासिल करने की है ताकि उनकी पार्टी सपा से अलग न दिखाई दे.
‘मोटरसाइकिल’ या ‘चक्र’ हो सकता है सिंबल
शिवपाल सिंह यादव की पार्टी में समाजवादी शब्द तो है ही उसका सिंबल भी सपा से मिलता-जुलता ही होगा. उनकी नई पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी होगा. पार्टी का चुनाव चिह्न मोटरसाइकिल या चक्र हो सकता है. समाजवादी पार्टी का सिंबल साइकिल है. अब शिवपाल मोटरसाइकिल चलाकर अखिलेश यादव को जवाब दे सकते हैं.
हालांकि शिवपाल की पहली पसंद जनता दल का चुनाव चिह्न रहा “चक्र” है. उन्होंने चुनाव आयोग में इस सिंबल की मांग भी की है ताकि उससे पुराने समाजवादी जुड़ाव महसूस कर सकें. जनता दल में बंटवारे के बाद चुनाव आयोग ने चक्र चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिया था. अगर आयोग ने यह निशान नहीं दिया तो शिवपाल की दूसरी पसंद मोटरसाइकिल है. माना जा रहा है कि कुछ दिनों में शिवपाल सिंह को पार्टी का नाम और सिंबल दोनों आवंटित कर दिए जाएंगे.
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सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
सेक्युलर मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. शिवपाल अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी से चुनाव लड़वाना चाहते हैं. अगर मुलायम उनकी पार्टी की बजाए समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ते हैं तब भी शिवपाल उनका समर्थन करेंगे. बाकी सभी 79 सीटों पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदजान में उतरेंगे.
कन्नौज में उतारेंगे मजबूत उम्मीदवार
शिवपाल सिंह यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव को सियासत का पाठ पढ़ाना चाहते हैं. इसीलिए उन्होंने अखिलेश यादव के खिलाफ कन्नौज से मजबूत प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया है. शिवपाल के बेटे आदित्य यादव ने साफ कहा है कि उनकी पार्टी कन्नोज में मजबूत प्रत्याशी उतारेगी और जीत हासिल करेगी. आदित्य ने अकिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की नीतियां अब एसी कमरों में बैठकर बनाई जाती हैं.
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चाचा की मजबूती से कमजोर होंगे अखिलेश
शिवपाल सिंह यादव पुराने समाजवादियों और सपा के बागियों को अपने पाले में ला रहे हैं. उनकी नजर समाजवादी पार्टी का मजबूत वोट बैंक कहे जाने वाले पिछड़ों और मुस्लिमों को अपने साथ जोड़ने की है. अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए शिवपाल छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रहे हैं. उन्होंने बहुजन समाजवादी पार्टी से गठबंधन से भी इनकार नहीं किया है. अगर ऐसा हुआ तो अखिलेश के मिशन 2019 को तगड़ा झटका लगेगा. यानी जैसे-जैसे शिवपाल की पार्टी मजबूत होगी, अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ती जाएंगी.