सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पुलिस अब व्हाट्सएप से नोटिस नहीं भेज सकेगी, पारंपरिक तरीके से भेजे जाएंगे

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जो पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा असर डालने वाला है। कोर्ट ने कहा है कि अब से पुलिस व्हाट्सएप या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आरोपियों को नोटिस नहीं भेज पाएगी। अब नोटिस केवल पारंपरिक विधियों से ही भेजे जाएंगे, जिन्हें विधिक तरीके से मान्यता प्राप्त है। इस फैसले के बाद पुलिस को नोटिस भेजने के लिए पुराने, प्रमाणित तरीकों का ही पालन करना होगा।

व्हाट्सएप से नोटिस भेजने पर लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने इस बारे में स्पष्ट रूप से कहा है कि व्हाट्सएप, ईमेल या किसी भी अन्य डिजिटल माध्यम से नोटिस भेजने की प्रक्रिया अब अवैध मानी जाएगी। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41A के तहत आरोपियों को नोटिस भेजने के लिए अब केवल पारंपरिक तरीके अपनाए जाएं, जो विधिक रूप से प्रमाणित और मान्य हैं।

इस फैसले में विशेष ध्यान इस बात पर दिया गया कि व्हाट्सएप या किसी अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए भेजे गए नोटिस में पारदर्शिता की कमी हो सकती है और इससे न्यायिक निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है। इससे पहले, पुलिस ने कई बार व्हाट्सएप के जरिए आरोपी को नोटिस भेजने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें कई कानूनी विवाद उत्पन्न हो चुके थे, जिनके कारण सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला लेना पड़ा।

पारंपरिक विधियों से भेजे जाएंगे नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अब से नोटिस सिर्फ पारंपरिक विधियों से ही भेजे जाएंगे। पारंपरिक विधियों का मतलब है कि नोटिस डाक, पुलिस द्वारा व्यक्तिगत रूप से या अन्य विधिक रूप से मान्यता प्राप्त तरीकों से भेजे जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नोटिस की प्राप्ति का प्रमाण कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सके और किसी भी प्रकार का विवाद न हो।

क्या है सीआरपीसी की धारा 41A और बीएनएसएस की धारा 35?

सीआरपीसी की धारा 41A के तहत पुलिस को किसी आरोपी को गिरफ्तार किए बिना उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का अधिकार मिलता है। अगर आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता नहीं होती, तो पुलिस उसे समन या नोटिस भेज सकती है। बीएनएसएस की धारा 35 भी पुलिस को आरोपी को पेश होने के लिए नोटिस भेजने का अधिकार देती है। यह दोनों धाराएं पुलिस को आरोपी से जुड़ी आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए नोटिस भेजने की अनुमति देती हैं, लेकिन अब यह नोटिस पारंपरिक तरीके से ही भेजे जाएंगे।

पारंपरिक विधि का महत्व

सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक विधियों के महत्व को भी रेखांकित किया है। पारंपरिक तरीके से नोटिस भेजने का मुख्य फायदा यह है कि इसमें सबूत के तौर पर इसे प्रमाणित किया जा सकता है। अगर पुलिस नोटिस भेजने के बाद यह साबित करना चाहती है कि आरोपी को नोटिस प्राप्त हुआ, तो पारंपरिक विधि से यह कार्य आसानी से किया जा सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए नोटिस में यह प्रमाणित करना मुश्किल होता है कि आरोपी ने नोटिस प्राप्त किया या नहीं। इसके अलावा, कई बार आरोपियों को समय पर नोटिस नहीं मिलता, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में दिक्कतें आ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश – पूरी सख्ती से लागू होगा

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे अपने पुलिस विभागों के लिए स्थायी आदेश जारी करें, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि नोटिस सिर्फ पारंपरिक विधियों से ही भेजे जाएं। साथ ही, इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखी जाएगी, ताकि कोई भी पुलिस विभाग इसे नजरअंदाज न कर सके।

क्या बदलने वाला है?

इस फैसले से पुलिस की कार्यशैली में एक बड़ा बदलाव आ सकता है। जहां पहले पुलिस व्हाट्सएप या अन्य डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करती थी, वहीं अब उसे पारंपरिक विधियों का ही पालन करना होगा। यह निर्णय न सिर्फ पुलिस के कामकाज में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि आरोपी के अधिकारों की रक्षा भी करेगा। खासकर ऐसे मामलों में जब किसी आरोपी को बिना कारण गिरफ्तार किया जा सकता था, अब उसे उचित अवसर मिलेगा।

यह फैसला इस आधार पर लिया गया है कि न्यायिक प्रक्रिया में कोई भी गड़बड़ी या रुकावट नहीं होनी चाहिए और नोटिस भेजने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और प्रमाणित होनी चाहिए।

क्यों हुआ यह फैसला?

दरअसल, व्हाट्सएप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भेजे गए नोटिसों में कई बार विवाद उत्पन्न हो चुके थे। आरोपियों को सही समय पर नोटिस नहीं मिलता था, या फिर यह साबित करना मुश्किल होता था कि नोटिस वास्तव में भेजा गया था। इसके चलते अदालतों में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती थी और न्याय की निष्पक्षता पर असर पड़ता था। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया कि अब से सभी नोटिस पारंपरिक विधियों से ही भेजे जाएं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles