दिल्ली विधानसभा चुनाव से महज 5 दिन पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 7 विधायक अपनी-अपनी सीटों से इस्तीफा देकर AAP को अलविदा कह चुके हैं। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है और सभी दल अपने प्रचार में जुटे हैं। इस्तीफा देने वाले विधायकों में त्रिलोकपुरी से विधायक रोहित महरौलिया, जनकपुरी से राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदनलाल, पालम से भावना गौड़, बिजवासन से बीएस जून, आदर्श नगर से पवन शर्मा और महरौली से नरेश यादव शामिल हैं।
विधायकों ने क्यों छोड़ी AAP?
AAP के इन 7 विधायकों ने पार्टी छोड़ने के पीछे अपनी असंतोषजनक वजहें सामने रखी हैं। सबसे पहले, रोहित महरौलिया ने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को लिखे गए पत्र में अपनी निराशा जताई। महरौलिया का कहना था कि वह अन्ना आंदोलन के वक्त दिल्ली में बदलाव की उम्मीद लेकर पार्टी से जुड़े थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनके समाज के लिए की गई कोई भी अहम पहल या सुधार नहीं हुआ।
महुलिया ने पत्र में लिखा, “मैंने अपनी 15 साल पुरानी नौकरी छोड़कर AAP में शामिल होने का फैसला लिया था, क्योंकि मुझे विश्वास था कि पार्टी दलित समाज और वाल्मीकि समाज के लिए सामाजिक न्याय की दिशा में काम करेगी। लेकिन सत्ता में आने के बाद ना तो ठेकेदारी प्रथा खत्म हुई और ना ही कच्ची नौकरी वाले कर्मचारियों को स्थायी किया गया।”
भ्रष्टाचार और भेदभाव के आरोप
विधायकों के इस्तीफे के बाद, उन्होंने आम आदमी पार्टी की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उनका कहना था कि पार्टी के नेतृत्व ने उनके समाज के लोगों के साथ भेदभाव और शोषण को रोकने के बजाय केवल चुनावी फायदे के लिए उनका इस्तेमाल किया। महरौलिया के मुताबिक, पार्टी के लिए काम करने वाले लोग जो 20-20 साल से कच्ची नौकरी में काम कर रहे थे, आज भी वैसी की वैसी स्थिति में हैं। इसने उनके समाज में असंतोष पैदा किया है।
कांग्रेस और बीजेपी की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने AAP के लिए आरोपों की झड़ी लगाई है। कांग्रेस ने कहा कि यह AAP के नेतृत्व के असफल होने का परिणाम है, वहीं बीजेपी ने इसे पार्टी के अंदर के अंदरूनी झगड़ों और असफलताओं का प्रमाण बताया।
बीजेपी प्रवक्ता ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह दिखाता है कि AAP की सरकार केवल अपने राजनीतिक फायदे के लिए समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों का इस्तेमाल करती है।”
AAP की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आई?
AAP ने इन विधायकों के इस्तीफे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक पार्टी में इन विधायकों के साथ मतभेदों का लंबे समय से सिलसिला चल रहा था। पार्टी नेतृत्व के लिए यह इस्तीफे एक और बड़ा चुनौती साबित हो सकते हैं, खासकर ऐसे समय में जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान महज कुछ दिन दूर हैं।
आगे क्या होगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या इन विधायकों के इस्तीफे से AAP को चुनाव में नुकसान होगा? 7 विधायकों का पार्टी छोड़ना एक महत्वपूर्ण संकेत है, क्योंकि ये सभी विधायक दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से चुने गए थे और इन क्षेत्रों में AAP का समर्थन भी मजबूत था। अब देखना यह होगा कि इस इस्तीफे का असर पार्टी के चुनावी परिणामों पर कितना पड़ता है और क्या AAP इन इस्तीफों के बाद अपनी रणनीतियों में बदलाव करेगा।