भाईसाहब! सोचिए, आप 8 दिन के ट्रिप पर निकले और 9 महीने से घर नहीं लौटे! वो भी कोई पिकनिक ट्रिप नहीं, बल्कि सीधे अंतरिक्ष में! जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की, जो पिछले 9 महीने से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में फंसी हुई हैं। उन्हें 8 दिन बाद लौटना था, लेकिन तकनीकी खराबी ने उनकी वापसी रोक दी। अब सवाल ये उठता है कि 9 महीने से स्पेस में रहने से उनकी बॉडी पर क्या असर पड़ा होगा? जब वो धरती पर लौटेंगी, तो क्या वे नॉर्मल लाइफ जी पाएंगी?
स्पेस में 8 दिन का मिशन कैसे बना 9 महीने का बंधन?
5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर ने बोइंग स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट से उड़ान भरी। मकसद था 8 दिन का मिशन पूरा कर लौटना। लेकिन हुआ क्या? तकनीकी खराबियों ने मिशन को महीनों लंबा कर दिया। यानी प्लान था वीकेंड गेटअवे का, लेकिन लौटना हुआ सालभर बाद!
स्पेस मिशन में खाने-पीने का पूरा हिसाब-किताब रहता है। एक एस्ट्रोनॉट को एक दिन में 1.7 किलो फूड मिलता है। यानी, सुनीता के लिए 27 किलो फूड भेजा गया था। लेकिन अब तो 9 महीने बीत गए! सवाल उठता है कि खाने-पीने का इंतजाम कैसे हुआ?
दरअसल, स्पेस स्टेशन में इमरजेंसी फूड स्टोरेज रहता है और नासा समय-समय पर कार्गो स्पेसक्राफ्ट भेजता है, जिससे स्पेस स्टेशन की सप्लाई बनी रहती है। यानी खाने-पीने की दिक्कत नहीं है, लेकिन दिक्कत कुछ और है…
9 महीने स्पेस में रहने से क्या असर पड़ा?
अब सोचिए, जहां कोई गुरुत्वाकर्षण ही नहीं, वहां महीनों रहना कितना मुश्किल होगा? स्पेस में ग्रेविटी न होने की वजह से शरीर पर कई अजीब असर होते हैं।
1. आंखों पर असर
स्पेस में ग्रेविटी नहीं होने से आंखों के पीछे खून जम सकता है जिससे एडिमा हो सकता है। यानी स्पेस में ज्यादा वक्त बिताने पर नजर कमजोर हो सकती है।
2. चलना मुश्किल!
जब सुनीता वापस लौटेंगी, तो वो अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो पाएंगी! 9 महीने तक बिना वज़न वाले माहौल में रहने से उनकी मांसपेशियां कमजोर हो चुकी होंगी।
ये कुछ ऐसा है जैसे आप कई महीनों तक बेड पर लेटे रहें और अचानक दौड़ने के लिए कह दिया जाए! शरीर उसे संभाल ही नहीं पाएगा।
3. दिमाग पर असर
स्पेस में ज्यादा वक्त बिताने से याददाश्त पर असर पड़ता है। माइक्रोग्रैविटी में लंबे समय तक रहने से ब्रेन फंक्शन स्लो हो सकता है।
4. इमोशनल और मेंटल हेल्थ
अकेलेपन, तनाव और मानसिक दबाव का असर सबसे ज्यादा पड़ता है। अंतरिक्ष में महीनों तक रहना किसी जेल से कम नहीं। कई एस्ट्रोनॉट्स डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो जाते हैं।
धरती पर लौटने के बाद सुनीता को क्या-क्या दिक्कतें होंगी?
जब कोई अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर आता है, तो उसका शरीर एक नवजात बच्चे की तरह हो जाता है। यानी, चलने-फिरने, खाने-पीने, सोने की आदत तक बदल चुकी होती है।
1. चक्कर और उल्टी
स्पेस से लौटने के बाद चक्कर आना और जी मिचलाना आम समस्या होती है। इसकी वजह है माइक्रोग्रैविटी में लंबे समय तक रहना, जिससे इनर ईयर सिस्टम डिस्टर्ब हो जाता है।
2. पैरों पर खड़े होने में दिक्कत
स्पेस में शरीर के निचले हिस्से पर कोई भार नहीं पड़ता। यानी पैर कमजोर हो जाते हैं। जब सुनीता वापस आएंगी, तो उन्हें चलने-फिरने में मुश्किल होगी। कुछ हफ्तों तक फिजियोथेरेपी चलेगी, जिससे वे नॉर्मल लाइफ में वापस लौट सकें।
3. दिमागी संतुलन और मेंटल हेल्थ
इतने लंबे समय तक स्पेस में रहने से इंसान का मानसिक संतुलन भी प्रभावित हो सकता है। इसे ठीक करने के लिए नासा की टीम मेंटल हेल्थ काउंसलिंग करेगी।
सुनीता विलियम्स कब लौटेंगी?
अब सबसे बड़ा सवाल – सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को कब वापस लाया जाएगा?
अच्छी खबर ये है कि एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पहुंच चुका है। नासा ने बताया कि फ्लोरिडा तट पर यान मंगलवार शाम 5:57 बजे पहुंचेगा। यानी भारतीय समय के मुताबिक, 19 मार्च, बुधवार की रात 3:27 बजे सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी होगी!