नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर में महिलाओं ने प्रवेश करने की कोशिश की. लेकिन उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया. जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर विरोधाभास दिखा. सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए केवल स्थानीय महिलाएं ही नहीं पूरे देश के कई हिस्सों से महिलाएं पहुंची थीं. जिनका नेतृत्व केरल की एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा, हैदराबाद की पत्रकार कविता जक्कल और मैरी स्वीटी कर रही थीं. हालांकि सबरीमाला मंदिर के 500 मीटर की दूरी पर सभी महिलाओं को रोक दिया गया.
इस मुद्दे पर राजनीतिक बयान आने शुरु हो चुके हैं, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कोई दखलअंदाजी न करने की बात कहते हुए बयान दिया कि महिलाओं को मंदिर में पूजा करने का तो अधिकार है लेकिन उसे अपवित्र करने का नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने इन दोनों के अंतर को भी समझाया कि इसे पहचानने और सम्मान करने की जरुरत है. अपनी बात को समझाने के लिए उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई महिला महावारी के खून
से सने सैनेटरी पैड लेकर अपने दोस्त के घर जाएगी और खुद जवाब भी दिया कि महिलाएं नहीं जाएंगी. ऐसे में वो भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं ? साथ ही उन्होंने सफाई भी दी कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है. यहां ये जानना जरूरी है कि आखिर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के लिए जद्दोजहद में लगी दोनों महिलाएं कौन हैं ?
रेहाना फातिमा
रेहाना फातिमा महिलाओं के अधिकारों को लेकर सालों से सजग रही हैं. रेहाना फातिमा देश स्तर पर चर्चा में तब आईं थी जब केरल के एक प्रोफेसर ने छात्राओं के शरीर के अंगों को तरबूज के समान बताया था. जिसका विरोध करते हुए रेहाना फातिमा ने अपने शरीर पर तरबूज लगाकर टॉपलेस तस्वीर को सोशल मीडिया पर डाला था. इसके बाद विरोध करने के इस तरीके ने जोरदार चलन का रूप ले लिया था और एक एक करके कई महिलाओं ने इसी तरीके से अपना विरोध जताया था. वर्तमान में दो बच्चों की मां रेहाना फातिमा एक्टिविस्ट बनने से पहले एक मॉडल भी रह चुकी हैं. वो समाज में रह रही महिलाओं के शरीर के प्रति अश्लीलता और विरोधाभासों को लेकर वक्त-बे-वक्त प्रदर्शन करती रही हैं.
इन दोनों विरोध प्रदर्शनों के पहले रेहाना किस ऑफ लव का भी हिस्सा रही थीं. साथ ही वो केरल के त्रिशुर में हुए ओणम के टाइगर डांस का भी हिस्सा रही थीं. आपको बता दें कि टाइगर डांस केरल का एक पारंपरिक नृत्य है जिसे करने का अधिकार केवल पुरुषों को प्राप्त है. जहां तक रेहाना फातिमा की शुरुआती जिंदगी की बात की जाए, वो एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती हैं. फातिमा जब 12वीं कक्षा में थीं तब उनके पिता की मौत हुई जिसके बाद से ही उनके जीवन में बदलाव आया.
कविता जक्कल
सबरीमाला मंदिर विवाद में एक महिला एक्टिविस्ट कविता जक्कल ने पूरे दमखम से हिस्सा लिया. कविता जक्कल मेजो टीवी की पत्रकार हैं. सबरीमाला मंदिर में कविता जक्कल करीब 50 महिलाओं के साथ प्रवेश करने के लिए पहुंची थीं.
मैरी स्वीटी
मैरी स्वीटी ने दूसरी महिलाओं के साथ सबरीमाला में प्रवेश की कोशिश की, हालांकि उन्हें लौटना पड़ा. 46 साल की मैरी केरल के काझाकोट्टम से हैं. इनका कहना है कि उनके शरीर के भीतर एक ईश्वरीय शक्ति ने उन्हें मंदिर तक जाने की ताकत दी है. उनका कहना है कि वो एक बार जरूर मंदिर में जाकर दर्शन करना चाहती हैं.
क्या है मामला ?
सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के मुताबिक सबरीमाला मंदिर में रजस्वला युवती और महिलाओं के प्रवेश करने की इजाजत नहीं हैं लेकिन एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी थी. जिसके बाद से इसपर विवाद शुरू हो गया था. ये विवाद तब और बढ़ गया जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हजारों की तादाद में महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी. ये धारणा है कि भगवान अयप्पा ने स्वयं तय किया था कि उनके दर्शन कौन करेगा और कौन नहीं. जिसमें मांसाहार, नशा करने वाले और उन महिलाओं को जिन्हें महावारी होती है दर्शन करने पर रोक लगाई थी