तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट आज विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इसके लिए प्रात: सात बजे से मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी. भगवान तुंगनाथ का श्रृंगार कर उन्हें भोग लगाया गया. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आराध्य की मूर्ति को धार्मिक अनुष्ठान और परंपराओं के निर्वहन के साथ चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर मंदिर परिसर में लाया गया. यहां अन्य धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की गई.
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इसके बाद प्रात: 10.15 बजे तुंगनाथ मंदिर के कपाट बंद शीतकाल के छह माह के लिए लिए बंद कर दिए गए. भगवान तुंगनाथ चल विग्रह उत्सव डोली में मंदिर की परिक्रमा कर अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव चोपता पहुंचेंगे.
30 अक्तूबर को डोली द्वितीय पड़ाव भनकुन गुफा में रात्रि विश्राम करेगी और 31 अक्तूबर को अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी. यहां पुजारियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना व धार्मिक अनुष्ठान के साथ आराध्य को भोग लगाया जाएगा. इसके बाद अपराह्न तीन बजे भोग मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.