नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद हर कोई उन्हें अपने तरीके से याद कर रहा है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस मार्कंडे काटजू ने भी एक किस्से के जरिए उन्हें याद किया है.
फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होने एक केस का जिक्र करते हुए लिखा कि जब वो अलाहबाद हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त थे तो अटल ने उनका ट्रांसफर होने से बचाया था. अपनी फेसबुक पोस्ट में उन्होने लिखा कि उस समय देश में और उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में थी. वहीं इलाहबाद हाई कोर्ट में जज के तौर पर कार्यरत रहते हुए काटजू को एक केस की सुनवाई करने को मिली.
ये भी पढ़ें– भाजपा की वो बैठक जिसमें मोदी के खिलाफ खड़े थे अटल
मोहम्मद शरीफ सैफी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी की उन्हें अपनी ही जमीन पर मस्जिद का निर्माण करने से रोका जा रहा है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी की मस्जिद न बना पाने के कारण उन्हें अपनी शुक्रवार की नमाज सड़कों पर बैठकर पढ़नी पड़ती है. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार का कहना था कि मस्जिद के निर्माण के लिए उन्होने जिला प्रशासन से मंजूरी नही ली थी. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने ये दलील दी थी कि इस निर्माण में मंजूरी की जरूरत नही थी.
https://www.facebook.com/justicekatju/posts/2325166107523922
काटजू लिखते हैं कि इस केस में सुनवाई मुस्लमान याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हमने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश है. मुस्लमानों को ये हक है कि यदि जरूरी इजाजत मिल चुकी हो तो वो अपनी या किसी दूसरे की जमीन पर मस्जिद का निर्माण कर सकते हैं. इस फैसले से उत्तर प्रदेश में कोहराम मच गया था. मुझे दिल्ली से खबर मिली की इस तरह का फैसला देने पर आडवाणी ये जिद करने लगे थे कि मुझे अलाहबाद हाईकोर्ट से निकालकर सिक्किम या दूर के किस कोर्ट में भेज दिया जाए.
ये भी पढ़ें- जब अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदी को याद दिलाया था राजधर्म
काटजू बताते हैं कि इसके बावजूद मेरा ट्रांसफर नही हुआ क्योंकि वाजपेयी ने उन्हें बचा लिया. वो लिखते हैं कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी की अलाहबाद में एक ज्योतिषी से अच्छी जान पहचान थी. अटल जी ने उनके पास फोन कर मेरे बारे में जाना. काटजू बताते हैं कि ज्योतिषि ने अटल के सामने उनकी खुब प्रशंसा की जिसके बाद उनका तबादला रूका. काटजू ने लिखा है कि इस पूरी घटना की जानकारी भी खुद उस ज्योतिषि ने ही उन्हें दी थी जिनका कुछ समय पहले देहांत हो गया.