हाल ही में भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है. कुछ राजनीतिक पार्टी इसे चुनावी जुमला कह रहें है तो, कुछ का कहना है कि पीएम मोदी अपने वोट बैंक को बचाने के लिए ये कर रही है.
बहरहाल संसद के दोनों सदनों से सवर्ण आरक्षण बिल को पास कराने के बाद मोदी सरकार अब सरकार गरीब सबर्णों को राज्य सरकार द्वारा संचालित तेल विपणन कंपनियों के तहत पेट्रोल पंप और कुकिंग गैस एजेंसी आवंटित करेगी. दो सरकारी अधिकारियों ने कहा, ‘यह कंपनियां केंद्र सरकार की आरक्षण नीति का अनुसरण करेंगी.’
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क्या कहा अधिकारी ने
एक अधिकारी ने कहा कि, ‘नए पारित कानून के अधिसूचित होने के बाद ईडब्ल्यूएस श्रेणी को 10 फीसदी आरक्षण (खुदरा दुकानों के आवंटन में) देने का औपचारिक प्रस्ताव उचित समय पर शुरू किया जाएगा.’ हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इसपर किसी भी प्रकार कि टिप्पणी नहीं की. अधिकारियों का कहना है कि विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा.
मनमोहन सरकार में हुई थी इसकी शुरूआत
जानकारी के लिए बता दें कि राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेता- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में पहले से ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण नीति है. बता दें कि पेट्रोल पंप और एलपीजी एजेंसियों के आवंटन में ओबीसी कोटा की शुरुआत मनमोहन सिंह सरकार के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 20 जुलाई, 2012 को की थी.
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अभी कितने प्रतिशत है आवंटन
बता दें कि वर्तमान में एससी और एसटी के लिए इस तरह का आवंटन 22.5 प्रतिशत और 27 प्रतिशत ओबीसी के लिए है. वहीं पूरे देश में सामान्य श्रेणी से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए 50.5 प्रतिशत है. लेकिन यह प्रतिशत अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में अलग है. पूर्वोत्तर के राज्यों में खुदरा दुकानों के लिए आरक्षण सामाजिक-आर्थिक संरचना के अनुसार अलग-अलग है. अरुणाचल में एसटी के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण है.
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