आखिर गंगा नदी में ही क्यों प्रवाहित की जाती हैं अस्थियां? जानें वैज्ञानिक कारण

भारत में कई पवित्र नदियां हैं लेकिन पूरे देश में हिंदू धर्म के लोग मृत्यु के बाद अपने निकट संबंधियों की अस्थियों का विसर्जन गंगा नदी में ही क्यों करते हैं। इसकी वजह धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक भी है।गंगा को मोक्षदायिनी भी कहते हैं इसका मतलब ये भी है कि अगर गंगा के करीब काशी में निधन हो रहा है और अंतिम संस्कार इसी के तट पर होने के बाद अस्थियों का विसर्जन यहीं होता है तो मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अस्थियां गंगा में प्रवाहित होने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। हालांकि भारतीय शास्त्रों में माना गया है कि जब तक मृतक की अस्थियों को गंगा में विसर्जित नहीं किया जाता तब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। इसी वजह से भगीरथ गंगा को स्वर्ग से उतार कर धऱती पर लाए थे। जिसके बाद वह अपने पितरों की आत्मा को शांति दिलाकर उन्हें स्वर्ग दिला पाए थे।
इसके पीछे भी एक कहानी है कि कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा सगर हुए थे. जिनके 60 हजार पुत्र थे. ऋषि कपिल ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया और सभी की मृत्यु हो गई। लेकिन उनकी आत्मा को शांति नहीं मिल रही थी. तब इस वंश के भगीरथ ने गंगा को तप से धरती पर लाने का प्रण लिया, फिर उन्होंने ऐसा करके भी दिखाया।

इसीलिए कहा भी जाता है कि जिस शख्स की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाती है, उसकी आत्मा को स्वर्ग में रहने का आनंद मिलता है।वहीं अस्थि विसर्जन को गंगा में प्रवाहित करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं। हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस होता है। ये नदी के किनारे की भूमि के लिए खासा उपजाऊ होता है. फिर पानी में रहने वाले जीवों के लिए पौष्टिक आहार का काम भी करता है। पानी की फर्टीलिटी पॉवर भी इससे बढ़ती है।

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