नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए गहमागहमी अपने चरम पर है। सभी दलों ने इस चुनावी महासंग्राम को जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। सभी दल अपने-अपने समीकरण भी साध रहे हैं। इस बीच, उत्तर प्रदेश में महागठंधन के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अप्रत्यक्ष तौर पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती को प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की बात कही है।
अखिलेश यादव का यह बयान प्रधानमंत्री के उस आरोप के बाद आया है, जिसमें उन्होंने सपा पर मायावती के पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया है। यूपी के प्रतापगढ़ में शनिवार को पीएम मोदी ने चुनावी रैली के मंच से अखिलेश यादव पर गरम दिखे, लेकिन मायावती के लिए नरम रुख अपनाया। मोदी ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर मायावती को धोखा दे रही है, जिसके बाद यूपी की सियासत में पीएम मोदी के इस बयान के मायने निकाले जाने शुरू हो गए हैं।
अखिलेश यादव ने मायावती का नाम लिए बगैर कहा कि गठबंधन ही इस बार देश को नया प्रधानमंत्री देगा। हम तो चाहेंगे आधी आबादी कोई भी पीएम बन जाए। उससे अच्छी बात और क्या हो सकती है।’ अखिलेश ने कहा- ‘अगर ऐसा होता है सबसे पहला समर्थन सपा का होगा।’
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बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए यूपी में अखिलेश के नेतृत्व वाली सपा और माया की अगुवाई वाली बसपा के बीच गठबंधन हुआ है। इस गठबंधन में अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल है। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में सपा, बसपा और रालोद के महागठबंधन ने अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।
यूपी में बीते साल गोरखपुर और फूलपुर के लोकसभा उपचुनावों में दोनों ही दलों ने गठबंधन आजमाया था, जिसके बाद लोकसभा चुनाव में इसे लागू किया गया। साल 2014 के चुनाव में 80 में से 72 सीटें हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने सपा और बसपा के गठबंधन को चुनौती नहीं माना है। वहीं, कांग्रेस ने भी यूपी की कुछ सीटों को छोड़कर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। बीते दिनों कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि कांग्रेस के उम्मीदवार कई सीटों पर जीत रहे हैं तो वहीं कुछ सीटों पर बीजेपी के वोट काटने का काम कर रहे हैं। इसके जवाब में अखिलेश ने कहा था कि कांग्रेस बीजेपी को फायदा पहुंचाना चाहती है।