भीमराव अंबेडकर ने क्यों कहा था हिंदू पैदा तो हुआ हूं, लेकिन हिंदू मरूंगा नहीं
समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ भीमराव अंबेडकर की आज 63वीं पुण्यतिथि है. बाबा साहेब स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे और उन्हें भारतीय संविधान के रचनाकार माना जाता है. 14 अप्रैल 1891 में जन्मे भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई. उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त छूआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. वहीं बाबा साहेब ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को अपना लिया था.
अपना लिया था बौद्ध धर्म
भीमराव अंबेडकर ने आजादी के बाद अक्टूबर 1956 में बौद्ध धर्म को अपना लिया था, जिसके कारण उनके साथ लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म अपना लिया. साल 1956 में बाबा साहेब ने अपने 3 लाख 80 हजार साथियों के साथ हिंदू धर्म को त्याग करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया था. दरअसल, अंबेडकर 1950 के दशक में ही बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध सम्मेलन में भाग लेने श्रीलंका गए, जिसके बाद 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में उन्होंने अपने लाखों समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया.
पैदा हुआ हूं हिंदू, लेकिन हिंदू नहीं मंरूगा
जहां एक तरफ अंबेडकर जिस ताकत के साथ दलितों को उनका हक दिलाने के लिए उन्हें एकजुट करने और राजनीतिक-सामाजिक रूप से उन्हें सशक्त बनाने में जुटे थे. वहीं दूसरी तरफ उनके विरोधी भी उतनी ही ताकत के साथ उन्हें रोकने के लिए जोर लगा रहे थे. वहीं जब लंबे संघर्ष के बाद जब अंबेडकर को भरोसा हो गया कि वो हिंदू धर्म से जातिप्रथा और छुआ-छूत की कुरीतियां दूर नहीं कर पा रहे तो उन्होंने वो ऐतिहासिक वक्तव्य दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मैं हिंदू पैदा तो हुआ हूं, लेकिन हिंदू मरूंगा नहीं.