बीते दिन लोकसभा में 3 नए क्रिमिनल बिल पास हो गए हैं. आपराधिक संशोधन विधेयकों पर चर्चा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के दौरान विपक्ष के कुल 97 सांसद अनुपस्थित रहे. नए क्रिमिनल बिलों को अब राज्यसभा में रखा जाएगा. वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.
बिल में गैंगरेप के मामलों में अब 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल होगा. इसमें 18 साल से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा इसमें यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही रिकॉर्ड करेगी. पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा. बयान रिकॉर्ड करते समय पीड़िता के माता/पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं.
सरकार ने राजद्रोह जैसे कानूनों को निरस्त कर दिया है. इसके अलावा बिल में मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का प्रावधान किया गया है. साथ ही अब आजीवन कारावास को 7 साल की सजा में बदला जा सकेगा.
भारतीय न्याय संहिता में आतंकवाद की व्याखा की गई है और उसे दंडनीय अपराध बनाया गया है. इससे कोई भी आतंकवादी कानून की किसी भी कमी का फायदा नहीं उठा सकेगा.
बिल में नस्ल, जाति और समुदाय के आधार पर की गई हत्या के लिए नया प्रावधान पेश किया गया है. बिल में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक का प्रावधान है.