ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक बने अमिताव घोष
अंग्रेजी के जाने-माने लेखक अमिताव घोष को 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया है. अमिताव घोष अंग्रेजी के पहले लेखक है जिन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. अमिताव घोष को पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रूपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा.
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अमिताव घोष ने ‘दी सर्किल ऑफ़ रीज़न’, ‘इन एन एंटीक लैंड’, ‘दी कलकत्ता क्रोमोजोम’, ‘दी शैडो लाइन्स’, ‘डांसिंग इन कंबोडिया’, ‘दी ग्लास पैलेस’, जैसी रजनाएं लिखी है.
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अमिताव घोष का जन्म पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेन काॅलेज और ‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स’ से उच्च शिक्षा ग्रहण करी है. अमिताव घोष अपने उपन्यास ‘द सर्किल ऑफ रीजन’ से चर्चा में आये थे. ‘दी सर्किल ऑफ़ रीज़न’ को 1990 में ‘फ्रांस प्रिक्स मेडिसिस अवार्ड’ भी मिल चुका है.
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अमिताव घोष को लीग से हटकर काम करने के लिए जाना जाता है. अमिताव घोष को उनके उपन्यास ‘शैडो लाइन्स’ के लिए 1989 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ भी मिल चुका है. इसके अलावा ‘पद्म श्री’ से भी नवाजे जा चुके हैं.
ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अंग्रेजी के लेखक को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया हो. अंग्रेजी भाषा को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था.