श्रीनगर: घाटी की दो संसदीय सीटों पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं। यह दो संसदीय सीटें हैं मध्य कश्मीर यानी श्रीनगर तथा दक्षिण कश्मीर यानी अनंतनाग। इन दोनों को वीवीआईपी सीटों के तौर पर देखा जा रहा है। श्रीनगर संसदीय सीट पर दूसरे चरण में मतदान हो चुका है। जबकि अनंतनाग सीट पर तीन चरणों में मतदान पूरा होगा। 23 अप्रैल को प्रथम चरण का मतदान हो चुका है। अब यहां के बाकी हिस्सों पर 29 अप्रैल तथा 6 मई को वोट डाले जाएंगे। 23 अप्रैल को हुई वोटिंग में अनंतनाग सीट के 6 विधानसभा क्षेत्रों को ही कवर किया गया था, लेकिन यहां मतदान प्रतिशत बेहद कम महज 13.63 पर्सेट रहा था।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि पीडीपी प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का गृह क्षेत्र बिजबिहाड़ा क्षेत्र भी इन्हीं विस क्षेत्रों के तहत आता था, जहां केवल 2.04 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके कारण पीडीपी प्रमुख एवं यहां से प्रत्याशी महबूबा मुफ्ती की बेचैनी काफी बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यहां हुआ कम मतदान राजनीतिक दलों के लिए एक बड़े सबक से कम नहीं लगता। अनंतनाग संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के जीए मीर, नेकां के हसनैन मसूदी, भाजपा के सौफी यूसुफ समेत कुल 18 प्रत्याशी मैदान में हैं। वैसे, आतंकग्रस्त इस संसदीय क्षेत्र में महबूबा मुफ्ती की साख सबसे ज्यादा दांव पर है। यहां के लगभग सभी प्रत्याशी धारा 370 व अनुच्छेद 35ए के संरक्षण की दुहाई देकर वोट देने की अपील कर रहे हैं।
यहां यदि महबूबा मुफ्ती केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हैं तो कांग्रेस व नेकां के नेता महबूबा मुफ्ती को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में लगे हैं। मुफ्ती के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी जीए मीर तथा नेकां के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आरोप लगा रहे हैं कि घाटी के मौजूदा हालात के लिए महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी तथा सूबे की सरकार में उनकी गठबंधन सहयोगी रही भाजपा व संघ की नीतियां ही जिम्मेदार हैं।
यहां प्रथम चरण के मतदान के बाद ही पीडीपी प्रत्याशी महबूबा मुफ्ती के बेहद परेशान होने का पता चला है। हालांकि वह चुनाव प्रचार के दौरान यह कहना नहीं भूलतीं कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन एक बेहद कड़वा अनुभव रहा है। परंतु जो युवा अथवा इलाके के लोग उनके प्रति दीवानगी का भाव रखते थे, अब वह महबूबा की बातों पर बहुत ज्यादा गौर नहीं कर रहे।