Allahabad High Court on arya samaj marriage:सनातन धर्म में कई प्रकार से विवाह संस्कार को किया जा सकता है। परंतु विवाह की कानूनी वैधता पर प्रश्न खड़े किए जाते रहे हैं। उनमें से एक आर्य समाज द्वारा कराई जाने वाली शादी है।
इस मसले पर एक व्यक्ति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि बंदी प्रत्यक्षीकरण के सहयोग से उसकी पत्नी को कोर्ट के समक्ष पेश करने के संबंध में आदेश जारी हो। परंतु माननीय अदालत ने कहा कि मात्र आर्य समाज के द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र को साक्ष्य नहीं माना जा सकता है और इस प्रकार याची की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज वैध प्रमाणों की वास्तविकता पर विचार किए बिना, शादी के आयोजन में विश्वासों का इस्तेमाल करता है। चूंकि मैरेज रजिस्टर्ड नहीं था, इसलिए यह नहीं माना जा सकता है कि पक्ष शादीशुदा हैं। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले धर्म वीर सिंह ने आर्य समाज मंदिर, गाजियाबाद द्वारा जारी एक दस्तावेज और शादी के पंजीकरण के प्रमाण पत्र के साथ-साथ कुछ फोटो पर विश्वास किया है