नई दिल्ली। राजस्थान में बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी का मामला और गरमा गया है.बिहार के मुख्यमंत्री ने दुर्ग सिंह पर आरोपों की जांच पटना के जोनल आईजी से करवाने के निर्देश दिए हैं. जबकि इस बीच दुर्ग सिंह की जमानत याचिका पर आज गुरूवार को सुनवाई नहीं हो सकी.
दुर्ग सिंह राजपुरोहित को एससी-एसटी एक्ट के तहत फर्जी तरीके से फंसाया गया है. पूरा मामला पिछछ्ले चार दिन से सुर्ख़ियों में छाया हुआ है. दुर्ग सिंह पर आरोप है कि उन्होंने बाड़मेर से पटना जाकर राकेश सोनकर नामक एक मजदूर को मारा पीटा. जाति सूचक गालियां दीं, आरोप के मुताबिक़ सोनकर बाड़मेर में दुर्ग सिंह के यहाँ मजदूरी करता था। और, मजदूरी का 75 हजार रुपए भी दुर्ग सिंह ने हड़प रखा है.
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इस सम्बन्ध में एक परिवाद पटना की अदालत में दाखिल हुआ। जिसपर जारी वारंट पर दुर्ग सिंह गिरफ्तार करके बाड़मेर से पटना ले जाए गए. मीडिया की तहकीकात में शिकायतकर्ता ने साफ़ कहा कि उसने आजतक बाड़मेर नहीं देखा जबकि दुर्ग सिंह भी लगातार कह रहे हैं कि वो कभी पटना नहीं गए। जिस दिन की घटना बताई जा रही है उस दिन वो बाड़मेर में ही थे.
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इस मामले में कुछ रसूखदार लोगों के नाम चर्चा में हैं। ये लोग ख़बरों को लेकर दुर्ग सिंह से नाराज थे और उन्हें झूठे मुक़दमे इन फंसवा दिया. मामला इतना टूल पकड़ चुका है कि मुख्यमंत्री को दखल देना पड़ा और उच्चस्तरीय जांच के आदेश उन्होंने गुरूवार को जारी किए. अदालत ने निर्धारित प्रक्रिया के तहत मंगलवार को दुर्ग सिंह को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। उनकी जमानत पर सुनवाई आज नहीं हो सकी. बताया गया है कि न्यायधीश के अवकाश पर होने की वजह से सक्षम न्यायालय में सुनवाई सकी.