सहारनपुरः भीम आर्मी के संस्थापक दलित नेता चन्द्रशेखर उर्फ रावण को आज तड़के जेल से रिहा कर दिया गया. जेल के बाहर बड़ी संख्या में मौजूद उनके समर्थकों ने अपने नेता का जबरदस्त स्वागत किया. भीड़ पुलिस फोर्स के सभी प्रतिबंधो को तोड़ कर अपने नेता के स्वागत में जुटी थी. उनकी समय से पहले रिहाई को भाजपा की दलितों को खुश करने कोशिश के तौर पर देखा गया है मगर रावण के तेवर कुछ और ही रहे. बाहर निकलकर उन्होंने अपनी रिहाई को इन्साफ की जीत बताया और ऐलान किया कि वो अपने लोगों से कहेंगे कि 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उखाड़ फेंके.
Saharanpur: Bhim Army Chief Chandrashekhar alias Ravan comes out of jail after Uttar Pradesh government ordered his early release. He was jailed under NSA charges in connection with the 2017 Saharanpur caste violence case pic.twitter.com/kqE0fz53Yj
— ANI UP (@ANINewsUP) September 13, 2018
एससी/एसटी को लेकर राजनीतिक दलों के बीच चल रही खींचतान के बीच राज्य सरकार ने सहारनपुर जातीय हिंसा के आरोपित भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण की समयपूर्व रिहाई का फैसला किया था. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत जेल में निरुद्ध रावण को छोड़े जाने के लिए डीएम सहारनपुर को निर्देश दिया गया था. इसे सियासी समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है. चंद्रशेखर उर्फ रावण के अलावा इसी मामले में आरोपित सोनू व शिवकुमार को भी समयपूर्व रिहा किया जायेगा. इससे पूर्व तीन आरोपित सोनू उर्फ सोनपाल, सुधीर व विलास उर्फ राजू को सात सितंबर को रिहा किया जा चुका है.
Saharanpur: Bhim Army Chief Chandrashekhar alias Ravan being welcomed by his supporters after coming out of prison where he was jailed under NSA charges in connection with the 2017 Saharanpur caste violence case. Uttar Pradesh government ordered his early release yesterday pic.twitter.com/UdpLqAJB2W
— ANI UP (@ANINewsUP) September 14, 2018
दलितों को खुश करने की कोशिश
यूपी शासन ने मामले में इन्हीं छह आरोपितों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की थी. रावण की रिहाई के पीछे उनकी मां की ओर से दिये गए प्रत्यावेदन को आधार बताया जा रहा है. हालांकि इसे दलितों को प्रभावित करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि चुनाव से पहले राज्य सरकार ने खासकर एससी/एसटी वोट बैंक को साधने और बसपा के खिलाफ एक बड़ा समीकरण खड़ा करने के इरादे से यह फैसला किया है.
उल्लेखनीय है कि मई 2017 में सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के मामले में एसटीएफ ने आरोपित चंद्रशेखर को आठ जून 2017 को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया था. इसके अलावा अन्य आरोपित भी गिरफ्तार किये गए थे. चंद्रशेखर को सभी मामलों में कोर्ट से जमानत मिलने के बाद रिहाई का आदेश आने से पहले ही जिला प्रशासन ने उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई का नोटिस तामील कराया था. चंद्रशेखर सहित कुछ छह आरोपितों पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई थी.
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सहारनपुर की हरिजन कालोनी निवासी चंद्रशेखर की रासुका के तहत निरुद्ध रहने की अवधि एक नवंबर, 2018 तक थी, जबकि अन्य आरोपित सोनू व शिवकुमार को 14 अक्टूबर, 2018 तक निरुद्ध रहना था. ध्यान रहे, पूर्व में शासन ने चंद्रशेखर की रासुका अवधि तीन माह के लिए बढ़ा दी थी. इस पर भीम आर्मी ने रावण की रिहाई को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी थी. भीम आर्मी में इसे लेकर काफी आक्रोश था. तय समय सीमा के तहत रिहाई एक नवम्बर को होनी थी लेकिन गुरुवार को योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए रावण और दो अन्य आरोपियों की तत्काल रिहाई का ऐलान करते हुए जिला प्रशासन को निर्देश थे.
केंद्र से लेकर सूबे की भाजपा सरकार दलित एजेंडे पर लगातार आगे बढ़ रही है. गुरुवार को रासुका में निरुद्ध भीम आर्मी के चंद्रशेखर उर्फ रावण की रिहाई को इसकी एक कड़ी माना जा रहा है. एक तरफ बसपा के लिए चुनौती बन रहे चंद्रशेखर को सरकार ने रिहा करने का फैसला किया तो दूसरी तरफ बसपा से विद्रोह कर पार्टी में आने वाले पूर्व सांसद जुगुल किशोर को भाजपा का प्रदेश प्रवक्ता बनाकर मायावती के खिलाफ आवाज बुलंद करने की रणनीति अपनाई गई है. भाजपा संगठन ने दलितों के सम्मेलन की भी तैयारी शुरू कर दी है. इतना ही नहीं दलित अफसरों को भी महत्वपूर्ण तैनाती दी जा रही है.
इस सबके बीच जेल से बाहर आकर चंद्रशेखर उर्फ़ रावण ने जो बयान दिया है वह तो फिलहाल भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत सुखद नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘सरकार डरी हुई थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाने वाली थी. यही वजह है कि अपने आप को बचाने के लिए सरकार ने जल्दी रिहाई का आदेश दे दिया. मुझे पूरी तरह विश्वास है कि वे मेरे खिलाफ दस दिनों के भीतर फिर से कोई आरोप लगाएंगे. मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें.’