‘मोदी की सेना’ को लेकर विरोध में उतरा सेना का यह बड़ा नाम, आयोग में शिकायत

चुनाव आयोग

नई दिल्ली. चुनावी लाभ के लिए सेना के शौर्य के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने सख्ती तो दिखाई मगर इसका असर होता नहीं दिख रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का चुनावी भाषण में भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ कहना बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. वो इसलिए क्योंकि विपक्ष तो विरोध कर ही रहा है, इंडियन नेवी के पूर्व मुखिया और जाने माने एक्टिविस्ट एडमिरल राम दास भाजपा के प्रचार के तरीके को लेकर लेकर विरोध में उतर आये हैं. उन्होंने निर्वाचन आयोग से सीएम योगी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

दरअसल, 31 मार्च को योगी जी गाजियाबाद के बिसाहड़ा गांव में वह वीके सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे. इस रैली में उन्होंने देश की सेना को ‘मोदी जी की सेना’ बता दिया. अब योगी जी को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि प्रधानमंत्री मोदी जी की तारीफ करते हुए उनका यह बयान उनपर ही भारी पड़ जाएगा. उनके इस बयान से गुस्साए नेवी चीफ एडमिरल एल रामदास (रिटायर) चुनाव आयोग को एक खत लिखा है. उन्होंने खत में लिखा है कि देश की सेनाएं किसी की व्यक्तिगत सेनाएं नहीं हैं इसलिए इस तरह का कोई भी वक्तव्य स्वीकार्य नहीं है.

उन्होंने कहा कि सैन्य बल किसी व्यक्ति से जुड़ा नहीं है. साथ ही यह भी दावा किया कि कई पूर्व और सेवारत सैनिक मुख्यमंत्री योगी की इस टिप्पणी से नाराज हैं. ऐसे में योगी की मुश्किलें और बढ सकती हैं. लेकिन इससे पहले आपको बता देते हैं एडमिरल रामदास के बारे में…

  • एडमिरल रामदास भारत-पाक पीपुल्स फ़ोरम के भारतीय अध्याय के अध्यक्ष हैं जिसने दोनों पड़ोसियों के बीच शांति के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है.
  • उनका जन्म 5 सितंबर 1933 को हुआ था और 1 सितंबर 1953 को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था.
  • एडमिरल रामदास 1990 से 1993 तक भारतीय नौसेना के प्रमुख रह चुके हैं. इसके अलावा वह तीन साल तक जर्मनी में नौसेना अटैच के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
  • एडमिरल रामदास एक स्पोर्ट पर्सन भी हैं. उनकी क्रिकेट, गोल्फ जैसे खेलों में काफी रूचि रही है. दक्षिण एशिया को तगड़ी शिकस्त देने के लिए उन्हें 2004 में शांति के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
  • इसके अलावा उन्होंने आम आदमी पार्टी के आंतरिक लोकपाल के रूप में कार्य किया है. वह कांग्रेस द्वारा तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के खिलाफ थे, जो बिना किसी लोकप्रिय समर्थन के चल रहा था.
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