आखिरकार भाजपा ने चुनावी बिसात पर खेल दिया ‘ट्रिपल तलाक कार्ड’

लखनऊ : ट्रिपल तलाक़ पर मोदी सरकार की संजीदगी के बीच जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो एक लतीफा सोशल मीडिया पर खूब चला था। वो यह कि जुम्मन ने तो साइकिल पर बटन दबाया मगर बुर्के में गयीं उनकी बेगम कमल को वोट दे आयीं।

बात मजाक में तब्दील इसी वजह से हुई क्योंकि मुस्लिम महिलाओं की भाजपा को लेकर सिम्पैथी कुछ जगह देखी भी गयी थी। उस वक़्त वोट कितने मिले, मिले भी या नहीं। यह कहना तो मुश्किल है मगर अब पार्टी उत्तर प्रदेश में ट्रिपल तलाक़ पीड़ितों की लिस्ट तैयार करने में जुट गयी है।

Three divorce ordinances challenged in Supreme court, petition filed

अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध

ट्रिपल तलाक़ पर अध्यादेश लाकर केंद्र कानून बना चुका है। मुस्लिमों के बीच व्याप्त इस कुरीति को लेकर मोदी सरकार लगातार डटी रही। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बना कानून जब राज्य सभा में लटका तो अध्यादेश का सहारा लिया गया। भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम महिलाओं की लड़ाई के नाम पर अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है। विपक्षी दल हमलावर होकर यह तोहमत लगाते रहे। बहरहाल, विपक्षी दलों की बात किसी हद तक सही होती दिख रही है।

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तलाक पीड़िताओं की लिस्ट होगी तैयार

वैसे तो ट्रिपल तलाक़ पर क़ानून बन चुका है और महिलाओं को एक बड़ा हथियार सरकार थमा चुकी है। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी सिर्फ इतने तक नहीं रुकी है। पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा को जिला स्तर तक ट्रिपल तलाक़ पीड़ित महिलाओं को सूचीबद्ध करने का जिम्मा सौंपा गया है। प्रदेश स्तर पर नादिया आलम को इसका संयोजक बनाया गया है। जिला प्रमुख या संयोजक भी बनायी जाएंगी। इनपर चुन चुन कर तलाक़ पीड़ित महिलाओं को उनके हक़-हुकूक दिलवाने का जिम्मा रहेगा। पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ इन महिलाओं को कानूनी सहायता के अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलवाया जाएगा।

तुष्टिकरण पर ट्रिपल वार को तैयार

cm yogi walking with amit shah

एक तरफ जहां मोदी और भाजपा को लेकर पूरा विपक्ष लामबंदी में जुटा है। और, अल्पसंख्यक वोट बैंक को विपक्ष अपना सबसे मजबूत आधार मानकर चल रहा है। ट्रिपल तलाक़ के नाम पर अल्पसंख्यक महिलाओं के बीच पार्टी का यह नया दांव गुल खिला सकता है। वरिष्ठ पत्रकार आशीष मिश्रा मानते हैं कि भाजपा को चुनाव में इसका फायदा जरूर मिलेगा। मुस्लिम महिलाएं अपेक्षाकृत ज्यादा शोषित हैं। ट्रिपल तलाक़ उनके आत्मसम्मान और कानूनी हक़ में धर्म के नाम पर बाधा था। मोदी सरकार इस बुराई को सजा के दायरे में लाकर सदाशयता तो हासिल कर चुकी है। अब वोटों की फसल काटने की कोशिश है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में खासकर पश्चिम में मुस्लिम मतदाता कई लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

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