रायपुर। छत्तीसगढ़ में तीसरे और अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव के लिए रविवार शाम 5 बजे के बाद प्रचार थमने के साथ ही मतदान के लिए राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां शुरू हो गई। इसी के साथ ही यह कयास भी लगने लगा है कि बीते दो चरणों के चुनाव में 4 सीटों के लिए मतदान के बाद अब अंतिम चरण के 23 अप्रैल को होने जा रहे मतदान में ऊंट इस बार किस करवट बैठेगा। इसको लेकर सबके अपने-अपने दावे हैं, मगर एक बात साफ तौर पर देखी जा रही है कि छत्तीसगढ़ में इस बार कोई एक मुद्दा चुनाव में उभर कर सामने नहीं आया है।
खास बात यह है कि सभी पार्टयिों के नेता एक दूसरे पर तोहमत लगाने में कतई पीछे नहीं रहे और भाषणों की भाषा का जो स्तर रहा है, वह इस बार सारी सीमाओं को भी लांघता नजर आया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है। भाजपा ने पिछले चुनाव में 11 में से 10 सीटें हासिल की थी, मगर विधानसभा में उसकी करारी हार ने निचले कैडर के आत्मविास को हिला कर रख दिया। उस पर से पार्टी ने अचानक यह निर्णय लिया कि सभी पुराने सांसदों के टिकट काट दिए जाएंगे और 10 सीटों पर नए प्रत्याशी उतारे जाएंगे।
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यह निर्णय क्या हुआ कि कई पुराने सांसद चुप मारकर बैठ गए और प्रचार के मौके पर भी देर से उतरे। इसका लाभ लेने के लिए कांग्रेस तैयार नजर आई। पूर्व सांसद समर्थक भी पूरे मनोयोग से काम नहीं कर रहे। राजनीतिक प्रेक्षकों के एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस वजह से भाजपा को भितरघात के मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस इस बार चुनाव में कोई एक मुद्दे पर टिक नहीं सकी। भाजपा के घोषणा पत्र की जवाबी योजना में गरीबों के लिए मदद का जो आश्वासन आया, उसका भी व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया। प्रचार के अंतिम दिन राजनीतिक पार्टयिों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में धुआंधार रोड शो किया।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने कहा किया कि जिस तरीके से अभी तक दो चरण के चुनाव छत्तीसगढ़ में हो चुके हैं, इसमें भाजपा को बढ़त मिलने की संभावना है। जिस तरीके से बस्तर में हमारे विधायक भीमा मंडावी का शहादत हुई है, वह खाली नहीं जाएगी, बस्तर में हमारी जीत निश्चित है। अनिल जैन ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में बहुत अंतर होता है। हमारी पार्टी जनता का रु झान देखकर आास्त है। दूसरी ओर भूपेश बघेल ने कहा कि हमेशा की तरह भाजपा अफवाह फैला रही है कि हमने आदिवासी क्षेत्रों एवं गरीब तबके के बीच दिया जाने वाला चना और नमक बंद कर दिया। इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है।