नंदीग्राम में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता की हत्या के केस में CBI ने 11 लोगों को किया गिरफ्तार !

 CBI ने इस वर्ष के प्रारम्भ की में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के पश्चात हिंसा (West Bengal Post Poll Violence) केस के सिलसिले में पूर्वी मेदिनीपुर से 11 लोगों को हिरासत में ले लिया है।  कलकत्ता के उच्चतम न्यायालय  के निर्देश  पर पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो के दल  ने पांचवी चार्जशीट (Charge Sheet) दाखिल की है. CBI ने भारतीय जनता पार्टी के  कार्यकर्ता की हत्या के केस में जिन लोगों को अरेस्ट किया  है, उनमें त्रिमूल कांग्रेस के नेता शेख सुफियान के दामाद शेख हकीबुल भी शामिल हैं. बताना चाहेंगे कि शेख को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का काफी खास माना जाता है. नंदीग्राम में हुए चुनाव के वक्त वह ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट रह चुके हैं.
केंद्रीय जांच ब्यूरो  (CBI )की इस कार्रवाई को लेकर अब राजनीति भी प्रारम्भ हो गई है. त्रिमूल कांग्रेस ने इस कार्रवाई को BJP की तरफ  से बदले की साजिश बता दिया है.TMC ने इस कार्रवाई को नंदीग्राम से ममता बनर्जी को मात देने वाले शुभेंदु अधिकारी के बयान से जोड़ा है. अपने इस कथित बयान में शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की जांच में जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. त्रिमूल कांग्रेस  के आरोपों को नकारते हुए भारतीय जनता पार्टी  ने कहा है कि इस कार्यवाही का केंद्र सरकार से सम्बन्ध  नहीं है.दल  ने कहा कि CBI  की जांच उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हो रही है और यह इसके तहत ही कार्यवाही  हुई है. इसका  केंद्र सरकार से कोई लेना देना  नहीं है.

पांचवीं चार्जशीट पेश की CBI ने !

कलकत्ता उच्चतम न्यायालय  के आदेश पर पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की जांच कर रहे CBI के दल ने पांचवी चार्जशीट दाखिल की है. केंद्रीय एजेंसी की तरफ से जारी बयान में बताया गया है कि चुनाव के वक्त BJP  के कार्यकर्ता देवव्रत माइती की हत्या के प्रकरण  में हल्दिया अदालत में यह चार्जशीट दाखिल की गई है. शेख फतेनूर, शेख मिजानूर और शेख इम्दुलाल के विरुद्ध  यह चार्जशीट दाखिल हुई है. दावा किया जा रहा है कि तीनों ही TMC  के कार्यकर्ता हैं. इस हत्या के प्रकरण  में केंद्रीय एजेंसी ने CM  ममता बनर्जी के चुनावी एजेंट रहे शेख सुफियान और TMC  के दो अन्य नेताओं से पूछताछ की थी. उल्लेखनीय है कि माननीय न्यायालय  के निर्देश  पर पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा का ब्यौरा लेने पहुंची मानवाधिकार आयोग के दल  के पास देवव्रत के परिवार ने शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि पहले उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से कुछ भी कहने से मुँह मोड़ लिया  था और घटना  की आशंका जाहिर की थी लेकिन CBI की अनुशंसा पर उनके घर के बाहर पुलिस बल की तैनाती हुई थी, जिसके पश्चात उन्होंने CBI  के अफसरों को हत्यारों के नाम बताए थे.

 माननीय न्यायालय ने हिंसा की जांच के लिए CBI जांच का दिया है। 

इससे पूर्व  इस वर्ष अगस्त में, कलकत्ता उच्चतम न्यायालय  ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के पश्चात हुयी  हिंसा की घटनाओं की कोर्ट  की निगरानी में CBI  जांच का आदेश दिया था. अदालत  ने अपेक्षाकृत कम गंभीर अपराधों की जांच के लिए विशेष जांच टीम  (SIT ) गठित करने का भी निर्देश  दिया था. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC ) द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति ने पहले प्रदेश  में विधानसभा चुनावों के पश्चात हिंसा की घटनाओं की जांच की थी और कोर्ट  की निगरानी में CBI जांच की सिफारिश की थी. 2 मई को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने  के बाद से विभिन्न जगहों पर हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं, जिसके पश्चात गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिनियुक्त चार सदस्यीय दल  ने भी हिंसा प्रभावित इलाकों का जायजा लिया था।

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