रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने वाली अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 1 महीने का समय दिया था। इसपर केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि ‘रामसेतु’ को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की प्रक्रिया अभी संस्कृति मंत्रालय में चल रही है। दरअसल, याची सु्ब्रमण्यम स्वामी ने 2020 में भी रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
शीर्ष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा है कि वो भी मंत्रालय के साथ इस मसले से संबंधित कोई भी प्रमाण या अन्य सामग्री दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट ने भाजपा नेता से कहा कि अगर वो चाहे तो केन्द्र सरकार से मिल सकते हैं और जांच कर सकते हैं लेकिन इस पर स्वामी ने कहा, ‘मैं किसी से नहीं मिलना चाहता, हम एक ही पार्टी में हैं, यह हमारे घोषणापत्र में था। उन्हें छह हफ्ते या जो भी हो, में फैसला करने दीजिए। मैं फिर आऊंगा।”
तीन-जजों के संयोजन में बैठी बेंच ने कहा कि जस्टिस पीएस नरसिम्हा कार्यवाही का अंग नहीं होंगे क्योंकि वह पहले इस केस में एक अधिवक्ता के रूप में प्रस्तुत हुए थे। नतीजतन, केस में दो जजों,चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और जस्टिस परदीवाला द्वारा आदेश पारित किया गया था। इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह फरवरी के दूसरे हफ्ते में स्वामी की अर्जी पर सुनवाई करेगी।