संकट में फंसी आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच कर रही जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्णा समिति की रिपोर्ट आने के बाद चंदा कोचर ने भी बयान जारी किया है और कहा कि वे इस फैसले से दुखी और हैरान है. उन्होंने कहा कि मुझे इस रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई है.
एकतरफा नहीं है लोन का फैसला
बता दें कि समिति की जांच में सामने आया था कि वीडियोकोन कंपनी को लोन देने के मामले ने कोचर ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है और इनकी स्वीकृति पर ही कर्ज का कुछ हिस्सा चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के मालिकाना हक वाली कंपनी वाली कंपनी को दिया गया है. इसके बाद चंदा कोचर ने कहा कि बैंक में कर्ज देने का फैसला एकतरफा नहीं किया गया है.
मुझे रिपोर्ट की कॉपी नहीं दी गई
उन्होंने बुधवार को कहा कि मैं फैसले से बुरी तरह निराश, आहत और परेशान हूं. मुझे रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई. मैं फिर दोहराती हूं कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया. आईसीआईसीआई ऐसी संस्था है जिसकी मजबूत प्रक्रियाएं और प्रणालियां हैं. इसमें समिति आधारित सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया है तथा इसमें कई उच्च क्षमता वाले पेशेवर भी शामिल होते हैं इसलिए इस संस्थान की बनावट और संरचना ऐसी है कि हितों के टकराव की संभावना को रोकता है.
उन्होंने आगे कहा कि मैंने पिछले 34 साल में आईसीआईसीआई बैंक में पूरे समर्पण और मेहनत के साथ सेवा दी है. मैंने हमेशा संगठन की भलाई के लिए ही फैसले लिए हैं. बैंक ने इस फैसले से मैं काफी दुखी हूं. इसी के साथ उन्होंने दावा किया कि एक दिन सच की जीत जरुर होगी.
गौरतलब है कि रिपोर्ट आने के बाद उनको नौकरी से हटाए जाने के साथ साथ मौजूदा और भविष्य में मिलने वाले सभी फायदों से वंचित कर दिया है. इतना ही नहीं अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक दिए गए सभी बोनस को उनसे वसूला जाएगा. चंदा कोचर के मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बैंक को दिए गए सालाना घोषणाएं यानी Annual Disclosures को बताने में ईमानदारी नहीं बरती. जो कि बैंक की अंदरूनी पॉलिसी, कोड ऑफ़ कंडक्ट और भारत के क़ानून के तहत ज़रूरी है.