भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी ISRO के लिए आज का दिन एक बार फिर बहुत महत्वपूर्ण होने वाला है। शुक्रवार को चंद्रमा की सतह पर सुबह होने वाली है। इसरो एक बार फिर चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास करेगा। अगर लैंडर और रोवर एक्टिव हो जाते हैं तो, इसरो और देश के लिए यह अच्छी खबर होगी।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि ग्राउंड स्टेशन चंद्रमा पर धूप खिलने के बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को एक बार फिर एक्टिव करने का प्रयास करेगा। इससे चंद्रमा की सतह पर वह कुछ दिन और काम कर सकेंगे। बता दें कि चंद्रयान 3 को चांद पर केवल एक लूनर नाइट के लिए ही भेजा गया था। चंद्रमा पर एक दिन – रात पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। इसलिए रोवर और लैडर को क्रमश: 2 और 3 सितंबर को स्लीपिंग मोड़ पर भेज दिया गया था।
इसरो वैज्ञानिक ने आगे कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक्टिव होने के चांसेस बहुत कम हैं। अगर संपर्क स्थापित हो भी जाता है तो, पूरी क्षमता हासिल करने की उम्मीद ना के बराबर है। इसरो वैज्ञानिक ने आगे कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के एक्टिव होने के चांसेस बहुत कम हैं। अगर संपर्क स्थापित हो भी जाता है तो, पूरी क्षमता हासिल करने की उम्मीद ना के बराबर है। यदि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पूरी क्षमता हासिल कर लेते हैं तो, दोनों अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर खोज करते रह सकते हैं। इस दौरान वो कई नई जानकारियां जुटा सकते हैं, जो वे ग्राउंड स्टेशनों को भेज रहे हैं।
बता दें कि रोवर प्रज्ञान ने पता लगाया कि चांद पर सल्फर के साथ ही एल्यूमीनियम, लोहा, कैल्शियम, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज समेत कई दूसरे तत्व भी मौजूद हैं। यही नहीं प्रज्ञान ने खोज करके बताया कि चांद पर ऑक्सीजन का प्रचुर भंडार मौजूद है। हालांकि, ये गैसीय रूप में मौजूद नहीं है।
इसके अलावा चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चांद की ऊबड़-खाबड़ सतह पर रॉक-एंड-रोल करते हुए 28 अगस्त को पता लगाया था कि चंद्रमा की सतह में कई खनिज प्रचुर मात्रा में है। रोवर प्रज्ञान में लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी पेलोड लगा हुआ है। ये उपकरण शक्तिशाली लेजर्स का इस्तेमाल करके चट्टानों को प्लाज्मा में तोड़ता है।