छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुपोषण मुक्ति की पहल पर राज्य में सुपोषण अभियान का अच्छा असर देखने को मिलने लगा है. मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के साथ बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी, इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 फीसदी अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है. जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है. इसका श्रेय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी सोच को जाता है.
राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 साल से कम उम्र के 37.7 फीसदी बच्चे कुपोषण और 15 से 49 साल की 47 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थे. इन आंकड़ों को देखे तो कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचल इलाकों के बच्चे थे. राज्य सरकार ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और ‘कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़’ की संकल्पना के साथ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की. अभियान को सफल बनाने के लिए इसमें जन-समुदाय का भी सहयोग लिया गया.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई. योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई है. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अंडा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक और स्वादिष्ट आहार दिए जा रहे हैं.
इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागृत हुई है. स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सब्जियों और पौष्टिक चीजों के प्रति भी जागरूकता बढ़ी है. इससे पोषण स्तर में सुधार आना शुरू हो गया है. स्वास्थ विभाग के सहयोग से एनीमिया प्रभावितों को आयरन फोलिक एसिड, कृमिनाशक गोली दी जाती है. प्रदेश को आगामी 3 सालों में कुपोषण से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा समन्वित प्रयास लगातार किये जा रहे हैं.
राज्य सरकार का दावा है कि कोरोना वायरस संकट के समय में सभी आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद होने के बावजूद भी बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखा गया. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के माध्यम से प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लगभग 28 लाख 78 हजार हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट पोषक आहार का वितरण सुनिश्चित कराया गया. पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 माह से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट का वितरण किया जा रहा है. कुपोषण पर मिल रही विजय को बनाए रखने और कोरोना का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर ना हो इसे देखते हुए प्रदेश में संक्रमण मुक्त स्थानों पर जनप्रतिनिधियों और पालकों की सहमति से आंगनबाड़ी को खोला गया है. जहां सुरक्षा के प्रबंध के साथ फिर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई है.