chhawla case 2012: फांसी की सजा के बाद हुई रिहाई, परिजनों ने कहा – लग रहा है इंसाफ बिक गया !

chhawla case 2012: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साल 2012 के छावला दुष्कर्म और हत्याकांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए तीनों दोषियों को रिहा कर दिया है। इससे पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस केस में फांसी की सजा सुनाई थी। अदालत का आदेश आने के पश्चात पीड़िता के पिता टूट गए। वह निराशा और क्रोध में बोले कि ऐसा लग रहा है कि जैसे हमारे मामले में इंसाफ को खरीद लिया गया है।

उधर निर्णय आने के पश्चात सोशल मीडिया से लेकर अनेक स्थान पर विरोध होना प्रारंभ हो गया है। सभी लोग दोषियों की सजा माफ किए जाने के आदेश से आक्रोशित नजर आ रहे हैं। उधर केस में उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि वह भारत की बेटी को न्याय  दिलाकर रहेंगे।सीएम बोले कि, “सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर मैंने इस पूरे मामले को देख रहीं वकील चारू शर्मा और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू से बात की है। पीड़िता देश की बेटी है हम उसे न्याय दिलाने के लिए सबकुछ करेंगे।”

युवती के साथ दिल्ली की निर्भया जैसी घिनौनी हरकत की गई थी। इन्वेस्टिगेशन में खुलासा  था कि पीड़िता से दुष्कर्म के पश्चात उसके शरीर को सिगरेट और गर्म रॉड से जलाया गया था। चेहरे और आंखों पर एसिड फेका गया था।

दरिंदों ने पीड़िता का निर्भया जैसा किया था हाल 

पुलिस पक्ष के अनुसार, युवती मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की निवासी थी। दिल्ली में वह छावला क्षेत्र में रहती थी। घटना वाले दिन वह गुड़गांव के साइबर सिटी क्षेत्र से काम के पश्चात घर लौट रही थी, तभी घर के निकट तीन शख्सों ने कार में उसे किडनैप  किया। युवती घर नहीं लौटी तो परिजनों ने लापता की शिकायत दर्ज करवाई। तीन दिन पश्चात  युवती का मृत शरीर छत -विछत स्थिति में हरियाणा के रेवाड़ी के निकट बरामद किया गया। पुलिस ने तीन लोगों रवि, राहुल और विनोद को अरेस्ट किया। जांच में सामने आया कि युवती  ने रवि का शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था, जिसके पश्चात उसने मित्रों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया।

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