चीन ने ताइवन की मदद करने के लिए भारत,अमेरिका समेत कई देशों को चेताया है. चीन ने पनडुब्बी निर्माण में ताइवान को तकनीक ट्रांसफर करने के लिए इन देशों को चेतावनी दी कि,अगर कोई ताइवान के पनडुब्बी प्रोजेक्ट में मदद करता है, तो इस तरह के कदम से पेइचिंग के साथ उनके द्विपक्षीय संबंधों को ठेस पहुंच सकती है.
इस प्रोजेक्ट में भारत की कंपनी भी शामिल
ताइवान के पनडुब्बी निर्माण के लिए प्रस्तावित डिजाइन सौंपने वाली अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ की छह कंपनियों में कथित तौर पर भारत की भी एक कंपनी शामिल है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि बीजिंग ताइवान को हथियार बेचने और किसी प्रकार का सैन्य संबंध बनाने वाले देश का सख्त विरोध किया है. हम चीन के एकल सिद्धांत का पालन करते हुए ताइवान को पनडुब्बी कार्यक्रम की अनुमति नहीं प्रदान करने और उससे किसी प्रकार का सैन्य संबंध खत्म करने की अपील करते हैं.
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भारत के भी ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं है, लेकिन ताइवान नई दिल्ली में ताइपे आर्थिक सांस्कृतिक केंद्र का उपयोग दरअसल दूतावास की तरह करता रहा है. चीन पर तीखी निर्भरता की चिंताओं की लहर के कारण सत्ता में आई. वर्तमान में, ताइवान का 40% निर्यात चीन में जाता है, ताइवान सकल घरेलू उत्पाद का आधा हिस्सा है. चुनावी घोषणापत्र को “एक ही बाजार पर हमारे अतीत में निर्भरता से विदाई” कहा जाता है.
ताइवान अब चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाह रहा है. इसकी निकटता और अतीत के संबंधों के कारण इसकी राष्ट्र पर काफी भारी निर्भरता है.