लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ अपने पिता के अंतिम संस्कार में भाग नहीं लेंगे। इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री ने बयान जारी किया है, जिसमें परिजनों व् अन्य शुभचिंतकों से वैश्विक महामारी के दृष्टिगत अंतिम संस्कार में न्यूनतम लोगों की मौजूदगी की सलाह दी है।
सीएम योगी के पिता आनंद सिंह बिष्ट का आज सुबह दिल्ली के एम्स में निधन हुआ। वो किडनी और लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे। देहरादून में इलाज से लाभ ना मिलने के बाद उन्हें विगत 13 मार्च को एम्स लाया गया था। बीती रात उनकी हालत बिगड़ गयी और सुबह 10. 44 पर उन्होंने प्राण त्याग दिए।
वर्षों पहले संन्यास आश्रम ग्रहण कर चुके उनके पुत्र योगी आदित्य नाथ ने अंतिम संस्कार में उपस्थिति को लेकर अपनी स्थिति साफ की है। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी के स्तर से जारी सन्देश के मुताबिक़ सीएम योगी कोरोना वायरस से जारी संघर्ष के चलते 21 अप्रैल को होने वाले अंतिम संस्कार में शरीक नहीं होंगे। अंतिम संस्कार उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के गृह जनपद पौड़ी में होना है।
ये है सीएम का संदेश
सन्देश में सीएम ने कहा है कि “अपने पूज्य पिता जी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुःख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम, एवं निःस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। अंतिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका। कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं। पूजनीया माँ, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिता जी की स्मृतियों को कोटि -कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा। ”
सांसारिक रिश्ते तोड़ चुके हैं योगी
यहाँ यह जिक्र करना भी जरुरी है कि योगी आदित्य नाथ का नाम अजय सिंह बिष् था। अपने घर से निकलकर युवावस्था में ही उन्होंने गोरखपुर की गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के हाथों दीक्षा लेकर संन्यास आश्रम को अपना लिया था। अवैद्यनाथ ने ही उन्हें आदित्यनाथ नाम दिया और बाद में अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उल्लेखनीय है कि सनातन परम्परा में सन्यासी बनने वाला व्यक्ति सांसारिक रिश्तों का त्याग कर देता है, इतना ही नहीं उसे जीवित रहते अपना पिंड दान भी करना पड़ता है। योगी आदित्यनाथ ने खुद को गोरक्षधाम पीठ को समर्पित कर दिया था और बाद में वो कई दफा गोरखपुर से सांसद चुने गए और 2017 में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत का सेहरा उनके सर बंधा। पार्टी ने उन्हे देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।