जल जीवन मिशन के तहत गांवों में बदलाव ला रही हैं,कोयला कंपनियां !

जल जीवन मिशन के तहत गांवों में बदलाव ला रही हैं,कोयला कंपनियां !
जल जीवन मिशन के तहत पीएम मोदी द्वारा दूरदराज के गांवों में पीने योग्य पानी मुहैया कराने के लिए स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सहायक कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ग्रामीण लोगों को उनके घर तक शुद्ध पेयजल मुहैया  कराने के साथ-साथ स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) योजना के तहत गांवों की महिलाओं के लिए राजस्व पैदा करके ग्रामीणों के जीवन में बदलाव ला रही है। सीआईएल की अन्य कोयला कंपनियों ने भी अगल -बगल के गांवों में पीने लायक पानी के लाभकारी उपयोग की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की है।
WCL  द्वारा नागपुर शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर पाटनसोंगी गांव में एक एकीकृत जलशोधन-सह-बॉटलिंग कोल नीर कॉम्प्लेक्स स्थापित किया गया है, जिसमें हर रोज  2.5 लाख लीटर पानी को शुद्ध करने की क्षमता है। इसमें आरओ आधारित 5 चरण का जलशोधन संयंत्र है, जिसकी क्षमता 10,000 लीटर प्रति घंटे से अधिक है और प्रतिदिन 15,000 बोतलों की बॉटलिंग क्षमता है। पानी पास के पाटनसोंगी भूमिगत कोयला खदान से प्राप्त किया जाता है।
एक अनूठी योजना के द्वारा , WCL  ने आसपास के ग्रामीणों के दरवाजे पर 20 लीटर के जार में शुद्ध कोल नीर के वितरण के लिए पाटनसोंगी गांव की महिला एसएचजी के साथ सहयोग किया है। प्रत्येक जार की कीमत 5 रुपये है, जिसमें से 3 रुपये स्वयं सहायता समूह द्वारा रखा जाता है। यह न केवल हर ग्रामीण को जल प्राप्त करने में सहयोग करता है, बल्कि गांव की महिलाओं को कमाई का अपार अवसर भी देता  है। आस-पास के 8 गांवों के लगभग 10,000 लोग इस सुविधा से लाभान्वित हुए हैं और अन्य गांवों में कवरेज दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
इसी तरह, SCCL  और NLCIL के साथ CIL की अन्य कोयला कंपनियों ने घरेलू और सिंचाई दोनों उद्देश्यों के लिए अपने कमान क्षेत्र में तथा आसपास के गांवों को अलावां खदान जल मुहैया कराना प्रारम्भ  कर दिया है। कोयला मंत्रालय ने आगामी  पांच सालों में तकरीबन 16.5 लाख की जनसंख्या को लाभान्वित करने वाली विभिन्न कोयला कंपनियों के आस-पास के गांवों को घरेलू और सिंचाई उपयोग के लिए 4,600 लाख क्यूबिक मीटर अतिरिक्त खदान पानी मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। 
कोयला निकालते वक्त , पृथ्वी की सतह के नीचे से भी जल निकलता है, जिसे खान निर्वहन जल के रूप में जाना जाता है। इस पानी का एक हिस्सा कोयला खदान के अंदर  छिड़काव, धुलाई, धूल-कण नियंत्रण आदि के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, पानी का एक बड़ा अप्रयुक्त भाग पास की धारा में फेंक दिया जाता था। खान के इस अप्रयुक्त अतिरिक्त जल के लाभकारी उपयोग के लिए, WCL ने पहले सिंचाई के इरादे  से खदान का पानी मुहैया कराना शुरू किया और बाद में कोल नीर परियोजना के द्वारा इसे शुद्ध पेयजल बनाने में आगे आया।
रोहना गांव की सरपंच उज्ज्वला लांडे कहती हैं, ‘‘हम दूर-दूर से प्रदूषित पेयजल लाते थे, लेकिन अब हमारे दरवाजे पर शुद्ध जल  उपलब्ध है, जिससे हमारे स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और हमारे जीवन-यापन के लिए धन उपलब्ध हुआ है।’’ पिंपला गांव की रोशनी उधव ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से आजीविका प्रदान करने में WCL  की सराहना  की। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अब इस कमाई का उपयोग अपने स्थानीय कुटीर उद्योग व्यवसाय के विस्तार के लिए करने लगी हैं। शुद्ध जल  के उपयोग से ग्रामीणों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और दवा पर खर्च में काफी कमी आई है।
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