लखनऊ: कांग्रेस तमाम प्रयासों के बाद भी अभी तक यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं कर सकी है। इन सीटों पर कांग्रेस ने अपने कई दिग्गजों को उतारने के लिए उनका मन टटोला, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिये। इससे कांग्रेस के समक्ष अब एक संकट खड़ा हो गया है कि वह जिन आठ सीटों पर अभी तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पायी, वहां भाजपा से कैसे मुकाबला करेगी?यूपी की लखनऊ, इलाहाबाद, भदोही, गाजीपुर, गोरखपुर, बस्ती, डुमरियागंज और कैसरगंज लोकसभा सीट पर कोई न कोई पेंच फंसा होने के कारण कांग्रेस अभी तक कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं कर पायी है।
इन सीटों पर जिन नेताओं ने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया था, पार्टी ने उन्हें योग्य नहीं पाया। कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय से लखनऊ और इलाहाबाद लोस सीट से कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य को चुनाव लड़ने के लिए आफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने हाथ खड़े कर दिये। कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने जब उनसे पूछा कि आखिर क्यों लखनऊ से चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि दरअसल, लखनऊ के भाजपा प्रत्याशी राजनाथ सिंह से उनके घरेलू संबंध हैं। लिहाजा, वह उनके खिलाफ चुनाव कैसे लड़ सकते हैं।
ये सीटें हैं लखनऊ, इलाहाबाद, भदोही, गाजीपुर, बस्ती, गोरखपुर, डुमरियागंज और कैसरगंज
इस पर उनसे पूछा गया, तो फिर आपको इलाहाबाद से चुनाव लड़ने में क्या दिक्कत है? इस पर नेता ने जवाब दिया कि एक तो इलाहाबाद में वह कभी नियमित रूप से रहे नहीं, दूसरे भाजपा प्रत्याशी रीता जोशी भी तो कांग्रेस से ही गयी हैं। वह अभी मूल रूप से कांग्रेसी ही हैं। अब भले ही वह मजबूरी वश भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हों। इसके पहले लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का आफर जितिन प्रसाद को दिया गया था, लेकिन उन्होंने भी अपनी परम्परागत धौरहरा सीट छोड़ने में असमर्थता जता दी। कुछ इसी तरह का हाल वीआईपी सीट गोरखपुर की भी है।
कांग्रेस के कई नेताओं ने गोरखपुर से लोस चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें इस योग्य नहीं पाया। कांग्रेस का मानना है कि गोरखपुर सीट से अब मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का कोई लाभ नहीं है क्योंकि मुस्लिम प्रत्याशी उतारने के बाद कांग्रेस व विपक्ष दोनों का वोट बंट जाता है। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलता है और वह आसानी से जीत जाती है। ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि इस बार गोरखपुर सीट से कोई ब्राहमण प्रत्याशी उतारा जाये, जिससे कांग्रेस, सपा-बसपा व भाजपा के बीच त्रिकोणात्मक लड़ाई हो और कांग्रेस को लाभ मिले। तमाम प्रयासों के बाद भी कांग्रेस यूपी की आठ लोस सीटों पर अभी अपने प्रत्याशी नहीं उतार पायी है।