नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘हम निभाएंगे’ के वादे के साथ घोषणापत्र का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने जनता से कई बड़े वादे किए हैं. इनमें से एक वादा है अंग्रेजों के जमाने के देशद्रोह कानून को खत्म करने का वादा. राहुल गांधी ने कहा कि अगर हम सत्ता में आए तो भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (a) को निरस्त कर देंगे.
बता दें, भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (a) के तहत देशद्रोह का मुकद्दमा चलता है. हाल ही में यह धारा तब चर्चा में आई थी जब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याय के छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए थे. उस समय उनपर इसी धारा के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया था. कांग्रेस के चुनावी घोषणा पद के ऐलान के बाद फिर से यह कानून चर्चा में आ गया. तो आइए जानते हैं इस कानून के बारे में…
देशद्रोह कानून क्या है
भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (a) के तहत देशद्रोह को विस्तृत और व्यापक रूप में बताया गया है. इस कानून के जरिए कोई भी व्यक्ति अगर बोलकर, लिखकर, संकेतों के द्वारा या फिर किसी और माध्यम से सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना या असंतोष भड़काता है तो वह देशद्रोह कहलाएगा. इसके साथ ही देश को नुकसान पहुंचाने, संविधान को नीचा दिखाने और राष्ट्रीय चिह्नों का अपमान करने पर यह कानून लागू होगा. साथ ही 3 साल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावाधान है.
इस कानून को ‘सेडिशन’ नाम दिया गया है जिसे मूल रूप से थॉमस मैकाले ने तैयार किया है. 1860 के दशक में यह कानून आईपीसी का हिस्सा नहीं था. लेकिन 1870 में इसे आईपीसी की धारा में शामिल कर लिया गया. वहीं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इसमें बदलाव हुआ. इसके अनुसार, सिर्फ सरकार के खिलाफ असंतोष जाहिर करने को देशद्रोह नहीं माना जाएगा. बल्कि हिंसा भड़काने और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की अपील करने पर इसे देशद्रोह माना जाएगा.
इस कानून के खिलाफ थे नेहरू
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस कानून को ‘बेहद आपत्तिजनक और अप्रिय’ कानून बताया था. हालांकि इसे खत्म करने पर कई बार मांग उठती रही है. दरअसल, हमारे संविधान में देशद्रोह का कानून तो है साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी नागरिकों का मौलिक अधिकार बताया गया है.