दुनियाभर में लाखों लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस इंसानों के रंग में भेदभाव कर रहा है। जी हां, अमेरिका और ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। स्टडी में पता चला है कि कोरोना गोरे लोगों के मुकाबले अश्वेतों को ज्यादा निशाना बना रहा है। कोरोना से होने वाली अश्वेतों की मौत भी श्वेत लोगों की तुलना में कही ज्यादा है।
ब्रिटेन में बसे एशियाई लोगों में संक्रमण का खतरा ज्यादा
ब्रिटेन में बसे एशियाई लोगों में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कोरोना से एशियाई लोगों की मौत की संख्या भी काफी ज्यादा है। ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन की स्टडी में ये बात सामने आई है। इन्होंने 2 मार्च से 25 अप्रैल के बीच ब्रिटेन के 1.74 करोड़ लोगों का डेटा विश्लेषण किया है जिसमें इस बात का पता चला है।
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स्टडी में कहा गया है कि ब्रिटेन में बसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के लोगों में कोरोना वायरस तेजी से फैला है। स्टडी में ये भी पता चला कि अश्वेतों की तुलना में एशियाई और आदिवासी लोगों में जान का जोखिम ज्यादा है। शोध में इन्हें बीएमई यानी ब्लैक एंड माइनोरिटी एथनिक कहा गया है।
इसके अलावा कुछ अमेरिकी संस्थाओं ने भी इसका अध्ययन किया है। उनकी स्टडी में पता चला है कि अमेरिका में श्वेतों के मुकाबले अश्वेत लोग कोविड-19 के ज्यादा शिकार हुए हैं।
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वहीं, अश्वेत आबादी वाले देशों में कोरोना के 50 फीसदी मामले सामने आए हैं, इन देशों में कोरोना से मौत की दर 60 फीसदी है। ऑक्सफोर्ड में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर लियाम स्मेथ ने कहा कि शोध से हम रोगियों को बेहतर इलाज के लिए परिणाम दे सकते हैं।