नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना वायरस को लेकर रोज नए चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस कड़ी में अब यह समाने आया है कि बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं। इन्हें एसिम्टोमैटिक (ऐसे मरीज जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते) कहा जाता है। अध्ययन में यह सामने आया है कि एसिम्टोमैटिक कोरोना वायरस संक्रमित कम समय में आस-पास की चीजों को संक्रमित कर सकते हैं। इमर्जिंग इंफेक्शियस डिसीज जर्नल ऑफ दि यूएस सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन में छपे अध्ययन की बातें डराने वाली हैं।
अध्ययन में बताया गया है कि 19 और 20 मार्च को चीन वापस गए दो छात्रों के होटल के कमरे की विभिन्न सतहों का परीक्षण किया गया। जब ये छात्र चीन के लिए वापस जा रहे थे तब उनमें कोरोना वायरस का कोई लक्षण दिखाई नहीं दिया था। क्वारंटीन के दूसरे दिन इन छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और इसके तीन घंटे बाद इन कमरों का परीक्षण किया गया।
परीक्षण में कई सतहों पर कोरोना वायरस के आरएनए होने की पुष्टि हुई। इन सतहों में दरवाजों के हैंडल, लाइट स्विच, पानी की टंकियां, थर्मामीटर, टीवी रिमोट, तकिये, रजाई के खोल, चादरें, तौलिये, टॉयलेट सीट और फ्लश बटन शामिल थे।
अमेरिका में हुए एक नए अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना के बिना लक्षणों वाले मरीज से बात करना भी खतरनाक साबित हो सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि यदि बिना लक्षणों वाला मरीज जोर से बोल रहा है तो वह एक मिनट में एक लाख से भी ज्यादा ड्रॉपलेट्स मुंह से हवा में छोड़ता है और इस कारण उससे बात करने वाला व्यक्ति कोरोना का शिकार हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि दुनिया में काफी संख्या में मरीज ऐसे हैं जिनमें शुरुआती दौर में कोरोना वायरस नहीं मिल रहे हैं। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि बिना लक्षण वाले मरीज कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने में काफी खतरनाक साबित हो रहे हैं। तमाम देशों में टेस्टिंग के बाद ऐसे मरीजों का पता चल रहा है जिनमें कोरोना के शुरुआती लक्षण नहीं दिखे हैं।