माननीयों में दागियों की भरमार, लेकिन सजा दिलाने में सिस्टम लाचार

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 3884 मामलों में सुनवाई के बाद विशेष अदालतों ने सिर्फ 38 माननीयों पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाई है. बाकी 560 को अदालतों ने बरी कर दिया है.

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फोटो साभारः Google

विश्वजीत भट्टाचार्य/नई दिल्लीः इस साल मध्यप्रदेश राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं. अगले साल लोकसभा के भी चुनाव होंगे, लेकिन राजनीति से आपराधिक तत्वों को बाहर करने के तमाम दावे पूरे नहीं होने वाले. चुनावों के बाद बड़ी तादाद में संगीन अपराधों के आरोपी फिर संसद और राज्यों की विधानसभाओं में दिख सकते हैं. इसकी वजह ये है कि माननीयों में दागियों की भरमार तो है, लेकिन इन दागी माननीयों में से महज 6 फीसदी को ही सजा सुनाई गई है. दूसरी अहम बात ये भी है कि वोटर जब ईवीएम के सामने पहुंचता है, तो न जाने क्यों उसे साफ छवि वाले के मुकाबले दागी उम्मीदवार ज्यादा पसंद आता है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया आंकड़ा

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो आंकड़ा दिया है, उससे साफ होता है कि आपराधिक छवि वाले माननीयों के खिलाफ अदालतों में जो मुकदमे चल रहे हैं, उनमें सिस्टम लाचार है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 3884 मामलों में सुनवाई के बाद विशेष अदालतों ने सिर्फ 38 माननीयों पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगाई है. बाकी 560 को अदालतों ने बरी कर दिया है. हालत ये है कि 29 में से 18 राज्यों और 7 में से 2 केंद्र शासित प्रदेशों में आपराधिक मामलों में किसी भी सांसद या विधायक को सजा नहीं मिली है.

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ये कहते हैं आंकड़े

केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि, केरल में सबसे ज्यादा 147 माननीयों को अदालतों ने आपराधिक मामलों में बरी कर दिया. सिर्फ 8 को दोषी माना. तमिलनाडु में 68 को बरी और 3 को सजा सुनाई. वहीं, बिहार में 48 को बरी किया गया और किसी को भी सजा नहीं सुनाई गई. बात करें माननीयों को सजा मिलने की, तो उड़ीसा में 10, केरल में 8 और यूपी में 5 माननीय दोषी पाए गए.

विशेष अदालतों में लंबित मामले

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने आपराधिक छवि के माननीयों के खिलाफ मुकदमा चलाने के वास्ते 7.8 करोड़ की लागत से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी और पश्चिम बंगाल के अलावा दिल्ली में दो विशेष अदालत का गठन किया है. बाकी 19 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में फास्ट ट्रैक कोर्ट को ऐसे मुकदमों का जिम्मा दिया गया है. विशेष अदालतों में माननीयों के 1233 यानी 40 फीसदी मामले ट्रांसफर हुए हैं. इनमें से 136 यानी 11 फीसदी मामलों में फैसले आए हैं. जबकि 1097 यानी 89 फीसदी मामलों की सुनवाई अभी होनी है. जिन राज्यों में विशेष अदालतों में मामले की सुनवाई बाकी है, उनमें बिहार में 249 केस, केरल में 233 केस और पश्चिम बंगाल में 226 केस हैं. यूपी में माननीयों पर 565 केस हैं. तमिलनाडु में माननीयों पर 402 केस हैं.

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आपराधिक छवि वाले ज्यादा चुने जाते हैं

2014 में एडीआर की एक रिपोर्ट कहती है कि जिन लोगों पर आपराधिक मामले होते हैं, वे संसद और विधानसभाओं में ज्यादा चुनकर जाते हैं. एडीआर की रिपोर्ट कहती है कि दागी माननीयों के चुने जाने का प्रतिशत 13 है, जबकि, साफ छवि के महज 5 फीसदी उम्मीदवार ही माननीय बनते हैं.

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