राफेल पर कांग्रेस का सवाल, डील सस्ते में हुई तो 126 की जगह 36 विमान ही क्यों ख़रीदे ?

सरकार इस रक्षा सौदे को लेकर जितनी सफाई दे कांग्रेस उसका पीछा नहीं छोड़ रही है. सरकार और एयर फोर्स ने अलग-अलग दावों में कहा है कि, यूपीए की तुलना में डील काफी कम दाम पर हुई है. इसको लेकर कांग्रेस की तरफ से पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी मैदान में उतरे.

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फोटो साभारः Google

नई दिल्लीः लड़ाकू विमान राफेल की खरीद को लेकर जारी आरोप प्रत्यारोप के बीच पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मंगलवार को एक नया सवाल उछाल दिया. मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने मोदी सरकार से कहा कि अगर डील सस्ते में हुई है तो विमान ज्यादा खरीदने चाहिए थे. प्रस्ताव तो 126 राफेल विमान खरीदने का था, उसे घटाकर सरकार ने केवल 36 ही क्यों कर दिया.

राफेल खरीद को लेकर सरकार जितनी भी सफाई दे मगर कांग्रेस उसे छोड़ने के मूड में नहीं है. मंगलवार को पार्टी की तरफ मैदान में उतरे एके एंटनी ने कहा कि हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल सौदा लगभग पूरा हो गया था. 2014 में जब एनडीए सरकार आई तो 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया. जब भारतीय वायुसेना ने 126 विमान मांगे थे तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों कर दिया. उन्हें इसपर जवाब देना चाहिए.

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एंटनी ने कहा, हाल ही में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि नई सरकार में इन विमानों का सौदा यूपीए की तुलना में 9 प्रतिशत सस्ते में हुआ. विदेश मंत्री ने इसे 20 प्रतिशत सस्ता बताया. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने इसे 40 प्रतिशत सस्ता बताया. यदि यह सौदा सस्ता है तो उन्होंने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे? उन्होंने केंद्र से पूछा कि यदि यूपीए की डील खत्म नहीं की जाती तो सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) को अति आधुनिक तकनीक हासिल करने का मौका मिल जाता. अब उसे यह अनुभव नहीं मिलेगा.

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत ने एक बहुत बड़ा मौका खो दिया है. उनका दावा है कि एचएएल इन विमानों का निर्माण करने में सक्षम नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि हमारी पहले दिन से मांग है कि इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (सीवीसी) को करनी चाहिए. सीवीसी का यह संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मगवाएं और जांच करके इसकी जानकारी संसद में रखे.

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