नई दिल्ली: चक्रवाती तूफान फानी का असर ओडिशा में दिखने लगा है। पुरी के तट पर तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही है। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। आपदा प्रबंधन की टीम तूफान से निपटने के लिए तैयार है। फानी की वजह से रेल,सड़क और हवाई यातायात पर प्रभाव पड़ा है। ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई है। तूफान का असर दक्षिण बंगाल में भी देखा जा रहा है। भारी बारिश और तेज हवाआों के चलते कई पर्यटक बुरी तरह से फंस गए हैं। तूफान में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम (SBSTC) ने दीघा से 50 बसों को संचालन करेगा। दीघा में फंसे हुए पर्यटकों को निकालने के लिए बसों का संचालन सुबह पांच बजे से शुरु कर दिया गया है।
ओडिशा के कई जिलों में आज चक्रवात तूफान फानी का असर देखा जा सकता है। शुक्रवार सुबह से ही कई जिलों में तेज हवाओं के साथ बारिश शुरु हो गई है। ओडिशा के जगदीशपुर जिले के पारादीप में तेज हवाओं के साथ बारिश हो रही है। चक्रवात तूफान फानी के चलते ओडिशा के पुरी में भी तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई है। ओडिशा के सभी तटीय क्षेत्रों को हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
चक्रवात तूफान फानी से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी हेल्प लाइन नंबर 1938 है। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर बताया था कि बंगाल की खाड़ी में उठा भीषण चक्रवाती तूफान फानी शुक्रवार सुबह आठ से 10 बजे के बीच ओडिशा के पुरी, गोपालपुर व चंदबली के तट से टकराएगा। गुरुवार शाम को यह पुरी से 320 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित था। तट से टकराते वक्त हवा की रफ्तार 170 से 180 किमी व अधिकतम 200 किमी प्रति घंटा रह सकती है। इससे उसकी विकरालता का अंदाजा लगाया जा सकता है। पिछले 43 सालों में अप्रैल माह में भारत के पड़ोसी समुद्री क्षेत्र में उठा इतनी तीव्रता का यह पहला तूफान है।
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पीएम नरेंद्र मोदी ने तूफान से निपटने के लिए गुरुवार को हालात से निपटने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा की गई तैयारियों की समीक्षा की थी। ओडिशा के 15 जिलों में 10 हजार से ज्यादा गांवों और 52 कस्बों पर तूफान कहर बरपा सकता है। इससे 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे। इसलिए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। तीनों सेनाओं व अन्य एजेंसियों को पहले ही अलर्ट किया जा चुका है। वायु सेना ने गुवाहाटी, कोलकाता और अंडल के सिविल हवाईअड्डे से लड़ाकू विमान के संचालन का अभ्यास किया है, ताकि आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्य यहां से शुरू किया जा सके।