दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, पति को थप्पड़ मारना सुसाइड के लिए उकसाना नहीं

हर दिन सैकड़ों की संख्या में घरेलु हिंसाएं होती हैं. आंकड़े कहते हैं कि इस हिंसा का शिकार ज्यादातर महिलाएं होती हैं. बहुत की कम केस ऐसे होते हैं जिनमें पत्नी द्वारा पति पर हिंसा की जाती हो या फिर कोई पत्नी अपने पति पर हाथ उठाती हो.

अक्सर पति अपनी पत्नी के हाथों पिटकर सुसाइड अटैम्ट करता है. लेकिन अब इस मामले में महिला को दोषी नहीं माना जाएगा. दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को बरी किया है जिसपर आरोप था कि उसने अपने पति को लोगों की मौजूदगी में थप्पड़ मारकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आरोप को खारिज किया और महिला को बरी कर दिया.

क्या कहा दिल्ली हाईकोर्ट ने

अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि अगर कोई कथित थप्पड़ की घटना को आत्महत्या के लिए उकसाना मानता है. तो उसे ध्यान रखना चाहिए कि कथित बर्ताव ऐसा रहा हो कि कोई भी सामान्य समझ वाला व्यक्ति ऐसी स्थिति में खुदकुशी करने को मजबूर हो जाए. लोगों की मौजूदगी में पति को थप्पड़ मारना सामान्य परिस्थितियों में पति को खुदकुशी के लिए उकसाना नहीं है.

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क्या था पूरा मामला?

कोर्ट में अर्जी दायर करने वाले कपल की शादी 25 फरवरी,2015 को हुई थी. अक्सर पति-पत्नी में झगड़े हुआ करते थे और तंग आकर महिला ने मई 2015 में पति का घर त्याग दिया. 2 अगस्त को पति ने सुसाइड अटैम्पट किया और अगले दिन उसकी अस्पताल में मौत हो गई. पति ने एक नोट लिखा हुआ था जिसमें पत्नी पर इल्जाम लगा था कि उसने अपने पति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया है.

बताया जा रहा है कि महिला ने 31 जुलाई को अपने पति को थप्पड़ मारा था जिसके शर्मिंदगी महसूस कर उसने सुसाइड कर ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने इसी दलील को खारिज किया पत्नी का थप्‍पड़ मारना पति को खुदकुशी के लिए उकसाने की वजह बना.

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